नई दिल्ली, 06 मई (हि.स.)। भारतीय सेना को दुश्मन के विमानों और ड्रोन को मार गिराने की अपनी क्षमता बढ़ावा देने के लिए आकाश प्राइम मिसाइल की दो नई रेजिमेंट मिलेंगी। सेना ने ‘मेक इन इंडिया’ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए सरकार के सामने प्रस्ताव रखा है। हालांकि, भारतीय सेना के पास पहले से ही आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम की दो रेजिमेंट हैं जिन्हें गलवान घाटी में हिंसा के बाद चीन सीमा पर तैनात किया गया था। अब दो और रेजिमेंट मिलने से चीन और पाकिस्तानी मोर्चे पर देश की वायु रक्षा को और मजबूती मिलेगी।
‘आत्म निर्भर’ अभियान के तहत भारत रक्षा प्लेटफार्मों और अलग-अलग तरह की मिसाइलों का निर्माण करके लगातार एयरो स्पेस की दुनिया में अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। सेना के पास पहले से ही आकाश मिसाइल की दो रेजिमेंट हैं। गलवान घाटी हिंसा के बाद भारत ने आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को चीन सीमा पर तैनात किया था। अब भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर तैनाती के लिए दो और रेजिमेंट जोड़ना चाहती है। भारतीय सेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने आकाश प्राइम मिसाइलों की दो रेजिमेंट बनाने का प्रस्ताव रखा है। नई आकाश मिसाइलों में पूर्व के संस्करणों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन रेंज है। इसका प्राथमिक उद्देश्य पाकिस्तान और चीन के साथ पहाड़ी सीमाओं पर किसी भी विमान की घुसपैठ से बचना है। इसके अधिग्रहण की लागत 10,000 करोड़ रुपये होगी।
भारतीय सेना के पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी कमानों ने आकाश प्राइम मिसाइलों के मौजूदा संस्करण की लगभग एक दर्जन परीक्षण फायरिंग की है। आकाश प्राइम मिसाइलें बेहतर सटीकता के लिए स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) से लैस हैं। आकाश के पुराने संस्करण के विपरीत ‘प्राइम’ मिसाइल को उच्च ऊंचाई पर कम तापमान वाले वातावरण में अधिक विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए संशोधित किया गया है। मौजूदा आकाश प्राइम प्रणाली ने परीक्षणों के दौरान भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के विश्वास को और बढ़ाया है। मिसाइल को 4,500 मीटर तक की ऊंचाई पर तैनात करके लगभग 25-30 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को मार गिराया जा सकता है।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) द्वारा निर्मित आकाश मिसाइल भारतीय सेना और वायु सेना में शामिल की गई सबसे सफल स्वदेशी मिसाइलों में से एक है। इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायुसेना में और 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। 96 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह देश का सबसे महत्वपूर्ण मिसाइल सिस्टम है जिसे अब दूसरे देशों को भी निर्यात करने की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है।इस मिसाइल का प्रदर्शन कई अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों जैसे डिफेंस एक्सपो, एयरो इंडिया के दौरान भी किया गया। आकाश मिसाइल सिस्टम को खरीदने में पूर्वी एशिया और अफ्रीका के 9 देशों ने दिलचस्पी दिखाई है।