गोरखपुर, 01 मई (हि.स.)। पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय पुरातन छात्र सम्मेलन (एलुमनाई मीट) का रविवार को शुभारंभ हुआ। रक्षामंत्री एवं यहां के पुरातन छात्र राजनाथ सिंह ने इसका वर्चुअली उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय से भौतिकी में परास्नातक राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के दौरान यहां से जुड़ी यादों को ताजा किया। उन्होंने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय का छात्र होना उनके लिए सौभाग्य की बात है।
रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि यादों में जीवन के सुनहरे पलों को संजोने की ताकत होती है। पुरातन छात्र सम्मेलन ऐसी यादों को साझा करने का उपयुक्त मंच होता है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन से जुड़ी बहुत सी यादें मेरे जेहन में आज भी ताजा हैं। मैं दुनिया के किसी भी मंच पर होता हूं, मेरा परिचय हमेशा गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में ही दिया जाता है। इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं।
उन्होंने विश्वविद्यालय से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि उन दिनों मेरे तेवर काफी तेज थे, लेकिन कभी उसका गलत इस्तेमाल नहीं किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सभा को अकेले बाधित करने के प्रसंग का जिक्र भी उन्होंने किया। साथ ही छात्रों की समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन की यादों को भी साझा किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शायद गोरखपुर देश का एकमात्र शहर है, जहां छात्रसंघ के नाम पर एक चौराहा है।
विश्वविद्यालय की स्थापना की परिस्थितियों की चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह आजादी के बाद स्थापित होने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है। इस क्रम में उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना में गोरक्षपीठ के योगदान की चर्चा की। सिंह ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों को भी याद किया।
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष डॉ. विभ्राट चंद कौशिक ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय अपनी स्थापना काल से लेकर अब तक कई गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए है। जब इसकी स्थापना हुई, तब इसका क्षेत्र पूर्वांचल के हिस्सों के साथ ही बनारस से मिर्जापुर तक फैला हुआ था। यही वजह है कि राजनाथ सिंह भौतिक विज्ञान में परास्नातक की शिक्षा लेने गोरखपुर पहुंचे थे। यहां से शिक्षा लेने के बाद वह मीरजापुर के केबी पोस्टग्रेजुएट कॉलेज में प्राध्यापक के पद पर नियुक्त हुए थे।
उल्लेखनीय है कि राजनाथ सिंह गोरखपुर विश्वविद्यालय के गौतम बुद्ध हॉस्टल के कमरा नंबर 16 में रहते थे। उन्होंने 1970-71 के दौरान इसी कमरे में रहकर भौतिक विज्ञान में परास्नातक की डिग्री हासिल की।