नई दिल्ली, 26 अप्रैल (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) को विश्व का ज्ञान केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने विदेशों में शिक्षा को पहुंचाने के साथ-साथ देश के दूरदराज के क्षेत्रों में गरीब और वंचित वर्ग तक गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का आह्वान किया।
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इग्नू के बाबा साहेब अम्बेडकर कन्वेंशन सेंटर में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के 35 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। समारोह के दौरान 2 लाख 91 हजार 588 डिग्री में से 60,570 छात्रों को ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्री के साथ-साथ छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया।
प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को एक आर्थिक महाशक्ति में बदलने के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली को एक आदर्श बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और उम्मीद है कि इग्नू यह सुनिश्चित करेगा कि ज्ञान डिजिटल और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से सभी तक पहुंचे। कूचबिहार जैसे दूर-दराज के क्षेत्र में इग्नू द्वारा अध्ययन सामग्री पहुंचाये जाने को बड़ी उपलब्धि बताते हुए प्रधान ने कहा कि इग्नू के प्रोफेसर भगवान हनुमान की तरह हैं, जो अपनी शक्तियों से अनजान हैं। उन्हें पता ही नहीं है कि वे कहां क्या-क्या कर रहे हैं। उनकी उपलब्धियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा, “इग्नू शिक्षा और ज्ञान को दूर-दराज के कोने-कोने और सबसे गरीब तक पहुंचाने में आधुनिक भगवान हनुमान के रूप में उभरा है।”
प्रधान ने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। यदि हम भारत को ज्ञान आधारित आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, तो हमें अपने शिक्षा परिदृश्य में एक आदर्श बदलाव सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने इग्नू की उपलब्धियों को राष्ट्रीय सफलता की कहानी बताया और शैक्षणिक नीति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के अनुरूप रखने के लिए संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि एनईपी हमारी शिक्षा और कौशल के परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक कदम है।