नई दिल्ली, 26 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चिकित्सा शिक्षा में संपूर्ण भारतीय पद्धति को शामिल कर एक इंडीग्रेटेड सिलेबस बनाने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि अंग्रेजों के समय से चली आ रही चिकित्सा शिक्षा की अलग-अलग पद्धति की बजाय एलोपैथी, आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथिक का एक इंटीग्रेटेड सिलेबस बनाने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। सभी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का एक कॉमन सिलेबस बनाने और उसके मुताबिक पढ़ाई करने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
याचिका में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा पर काफी बड़े निवेश के बावजूद देश की चिकित्सा व्यवस्था मानकों पर नहीं उतर रही है। देश की बड़ी आबादी को चिकित्सा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। याचिका में कहा गया है कि हेल्थकेयर सिस्टम तीन श्रेणियों प्राइमरी, सेकेंडरी और टर्शियरी केयर में बांटी गई है। तीनों श्रेणी को एक साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है ताकि इसका भरपूर लाभ मिल सके। ऐसा होने से गरीब लोगों को भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो पाएगी।
याचिका में कहा गया है कि 15 सितंबर, 2020 को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने कहा था कि देश भर में एलोपैथिक के 12 लाख 55 हजार 786 डॉक्टर एमसीआई में रजिस्टर्ड हैं। इनमें दस लाख डॉक्टरों की अगर उपलब्धता मानी जाए तो देश में प्रति डॉक्टर डेढ़ हजार आबादी का अनुपात है। अगर एलोपैथिक डॉक्टरों के साथ ही आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथिक 7 लाख 88 हजार डॉक्टरों को भी शामिल कर दिया जाए तो एक डॉक्टर पर करीब एक हजार आबादी का अनुपात बैठता है।