-रक्षा मंत्री ने चौथे दिन भारतीय सेना के कमांडरों, वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित किया
-यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए सशस्त्र बलों की भूमिका को सराहा गया
नई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स.)। देश के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्यों, सीमाओं पर स्थिति, भीतरी इलाकों के हालात और वर्तमान सुरक्षा तंत्र के लिए चुनौतियों से जुड़े सभी पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श के साथ भारतीय सेना के कमांडरों का पांच दिवसीय सम्मेलन शुक्रवार को खत्म हो गया। सम्मेलन में चर्चा के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर पड़ने वाले संभावित असर का आकलन करने के साथ ही संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। रक्षामंत्री और सेना प्रमुख ने कमांडरों से दुश्मनों के खिलाफ नई रणनीति तय करने के मुद्दों पर चर्चा की।
शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक सेना कमांडरों का सम्मेलन नई दिल्ली में 18 अप्रैल को शुरू हुआ था। सम्मेलन के दौरान भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व के साथ सैन्य कमांडरों ने वर्तमान जटिल वैश्विक स्थिति का भी उल्लेख किया, जो विश्वस्तर पर सभी को प्रभावित करती है। भारतीय सेना की ”स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण” योजनाओं पर कमांडरों के सामने विवरण रखा गया। रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा बुनियादी ढांचे और आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई। हाल ही में ”ऑपरेशन गंगा” के दौरान यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए सशस्त्र बलों की भूमिका को सराहा गया।
रक्षामंत्री ने कहा कि हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और असंयमित संघर्ष अब भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे। साइबर, सूचना, संचार, व्यापार एवं वित्त सभी भविष्य के युद्धों का एक अविभाज्य अंग बन चुके हैं। इसलिए सशस्त्र बलों को योजना तथा रणनीति बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। रक्षा मंत्री ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ समग्र राष्ट्रीय विकास में भी भारतीय सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। 30 को सेवानिवृत्त होने जा रहे सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की भी सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय सेना के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के पिछले ढाई वर्षों में सेना का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है।