Tokyo Olympics: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी की सफलता का अधिकतर श्रेय मुख्यमंत्री पटनायक को : दिलीप टिर्की

नई दिल्ली, 16 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की भारतीय हॉकी में सबसे प्रिय शख्सियतों में से एक हैं। वर्तमान में ओडिशा हॉकी प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत, टिर्की ने हॉकी इंडिया पॉडकास्ट हॉकी ते चर्चा में 2020 टोक्यो ओलंपिक में पुरुष और महिला टीम के शानदार प्रदर्शन के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को श्रेय दिया।

टिर्की ने कहा, “अगर हम टोक्यो ओलंपिक में पुरुष और महिला दोनों टीमों की सफलता को देखें, तो प्रदर्शन का बहुत श्रेय हॉकी इंडिया और खिलाड़ियों के साथ नवीन पटनायक जी को जाता है। ओडिशा (कलिंगा स्टेडियम) में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हॉकी स्टेडियमों में से एक के निर्माण के लिए उनकी दृष्टि 2003 से चली आ रही है, और उन्होंने उस दृष्टि को वास्तविकता में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”

भुवनेश्वर में 2018 हॉकी पुरुष विश्व कप की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के बाद, टिर्की ने आगामी 2023 हॉकी पुरुष विश्व कप के बारे में उत्साह के साथ बात की, जिसकी सह-मेजबानी भुवनेश्वर और राउरकेला में की जाएगी।

उन्होंने कहा, “राउरकेला में 2023 विश्व कप की सह-मेजबानी करने से इस क्षेत्र के लोगों पर व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है क्योंकि यह क्षेत्र हॉकी से प्यार करने वाले लोगों से भरा हुआ है। सुंदरगढ़ जिला भारत का ‘हॉकी हब’ है, और यह आयोजन छोटे बच्चों को पेशेवर स्तर पर हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करेगा।”

15 साल के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में 412 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले भारतीय खिलाड़ी टिर्की ने कहा, “हॉकी वास्तव में पिछले कुछ वर्षों में बदल गया है – न केवल खेल और खिलाड़ी इसे कैसे देखते हैं, बल्कि दर्शक भी। आज कई सालों के बाद हॉकी के प्रति लोगों में उत्साह है। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। काफी हद तक, मेरा मानना है कि हम इस बदलाव का श्रेय माननीय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जी के विजन को जाता हैं। कुछ साल पहले, भुवनेश्वर के लिए विश्व कप जैसे इतने बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी करना अकल्पनीय था। आज, शहर के लोग हॉकी के दीवाने हैं।”

उन्होंने कहा, “2018 हॉकी विश्व कप के कुछ मैचों के दौरान 300 मीटर लंबी कतारें थीं। यह ऐसी चीज है जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन मुझे खुशी है कि हॉकी को आखिरकार वह पहचान मिल रही है, जिसका वह हकदार है।”

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