अगरतला, 12 अप्रैल : अगर ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह को चीन अपने ओर मोड़ने की कोशिश भी करें तो इसका हम पर ज्यादा असर नहीं होगा। ब्रह्मपुत्र नद नहीं सूखेगी। ब्रह्मपुत्र बोर्ड के अध्यक्ष राजीव यादव ने सोमबार अगरतला में संवाददाता सम्मेलन में यह बात स्पष्ट किया है।
उनका तर्क है कि नदियाँ प्रकृति पर निर्भर करती हैं। ब्रह्मपुत्र का 60 प्रतिशत पानी भारत में उत्पत्ति और बहता है। उनमें से ज्यादातर अरुणाचल प्रदेश में हैं। इस मामले में, भले ही पानी के प्रवाह को मोड़ दिया जाए, भारत पर इसके प्रभाव की सामान्य होगी।
इस बीच उन्होंने कहा त्रिपुरा की नदियों पर एक नए अध्ययन की जरूरत है। इस बिशय पर त्रिपुरा सरकार ने उन्हें हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है। उनके मुताबिक पूर्वोत्तर में बारिश का पैटर्न बदल गया है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर निर्भर नदियों के अध्ययन का भी आह्वान किया है।
ब्रह्मपुत्र बोर्ड पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न नदी संयंत्रों के विकास के लिए एक मास्टर प्लान अपनाकर काम कर रहा है। 2018 में बोर्ड ने पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में आम बैठकें आयोजित करने का निर्णय लिया था। इसी के तहत सोमबार त्रिपुरा सचिवालय में बोर्ड की 76वीं बैठक हुई। यह बात ब्रह्मपुत्र बोर्ड के अध्यक्ष राजीव यादव ने बैठक के बाद सचिवालय के प्रेस कांफ्रेंस हॉल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही है।
उन्होंने कहा कि सोमबार हुई बैठक में त्रिपुरा में हावड़ा और मनु नदियों में नदी संयंत्रों के विकास के लिए मास्टर प्लान पर चर्चा हुई। बैठक में बाढ़ नियंत्रण, भूमि कटाव रोकथाम आदि से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा हुई। बोर्ड के अध्यक्ष ने आगे कहा कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ब्रह्मपुत्र बोर्ड, केंद्रीय जल आयोग के सहयोग से पूर्वोत्तर राज्यों में कौशल विकास पर कार्यशालाओं का आयोजन करेगा। कार्यशाला विभिन्न परियोजना रिपोर्ट तैयार करने सहित विभिन्न विषयों पर अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगी।