नई दिल्ली, 07 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो ई-कॉमर्स कंपनियों पर बिकने वाले सामानों पर उसके मूल देश, एमआरपी, निर्माता का नाम आदि डिस्प्ले करने संबंधी कानून का नियमित रूप से पालन कराने के लिए एक तंत्र विकसित करें। कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने 24 नवंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अजय सिंह ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां कानून का पालन ठीक से कर रही हैं कि नहीं, इसकी निगरानी के लिए सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि उसने कानून का पालन नहीं करनेवाले ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है। तब कोर्ट ने केंद्र से कहा कि अगर कोई ई-कॉमर्स कंपनी कानून का पालन नहीं कर रही हैं तो आपको कार्रवाई करनी चाहिए। इसके लिए आपको सजग होना होगा और एक तंत्र विकसित करना चाहिए। आप याचिकाकर्ता पर निर्भर क्यों हैं।
दो फरवरी 2021 को हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और ई-कॉमर्स कंपनियों को नोटिस जारी किया था। याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजेश के पंडित ने कहा था कि ई-कॉमर्स कंपनियां लीगल मेट्रोलोजी और उपभोक्ता संरक्षण कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं। याचिका में कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के बढ़ते चलन और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार ने 2017 में लीगल मेट्रोलोजी (पैकेज्ड कमोडिटी) रुल्स और उपभोक्ता संरक्षण कानून में संशोधन किया। ई-कॉमर्स कंपनियों को ध्यान में रखते हुए ये बदलाव किए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि इन कानूनों में बदलाव कर ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए ये जरूरी किया गया है कि वे अपने यहां बिकने वाले सामानों पर उसके मूल देश, एमआरपी, निर्माता का नाम आदि को डिस्प्ले करें ताकि कोई खरीदार खरीदने से पहले अपनी उत्पाद के प्रति अपनी राय रख सके। याचिका में कहा गया है कि विभिन्न कंपनियों के ऐप या वेबसाइट पर जाने पर उत्पादों के बारे में ये जानकारियां नहीं मिलीं। ऐसा कर ये कंपनियां सरकारी लीगल मेट्रोलोजी (पैकेज्ड कमोडिटी) रुल्स और उपभोक्ता संरक्षण कानून का पालन नहीं कर रही हैं। ई-कॉमर्स कंपनियां बिना पूरी जानकारी दिए ही उपभोक्ताओं को सामान बेच रही हैं।