सरकार समर्थक 11 राजनीतिक दलों की मांग, मंत्रिमंडल भंग कर बने अंतरिम सरकार
कोलंबो, 2 अप्रैल (हि.स.)। श्रीलंका में आर्थिक दुर्दशा के बाद वहां की सरकार ने आपात काल तो लगा दिया है किन्तु अब वहां सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, श्रीलंका में पूरी सरकार पर राजपक्षे परिवार का ही कब्जा है। राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सहित सरकार के छह मंत्री राजपक्षे परिवार से ही हैं। अब सरकार समर्थक 11 राजनीतिक दलों ने मौजूदा मंत्रिमंडल भंग कर अंतरिम सरकार बनाने की मांग की है।
श्रीलंका इस समय आर्थिक संकट से कराह रहा है। लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, जो अब हिंसक रूप भी ले रहा है। इस पर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को देश की सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति का हवाला देकर आपातकाल की घोषणा कर दी है। अब सेना संदिग्धों को बिना किसी मुकदमे के गिरफ्तार कर सकती है और लंबे समय तक हिरासत में रख सकती है। इसके बाद श्रीलंका में सत्ता पर काबिज परिवार के खिलाफ भी सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, पिछले दो दशकों से श्रीलंका की राजनीति एक ही परिवार में सिमटी है। देश के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे हैं तो उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री हैं। महिंदा पहले देश के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के अलावा मंत्रिमंडल पर भी राजपक्षे का कब्जा है। गोटबाया के पास रक्षा मंत्रालय तो महिंदा के पास शहरी विकास मंत्रालय भी है। उनके सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे देश का गृह मंत्रालय संभालते हैं। वित्त का जिम्मा बासिल राजपक्षे के पास है। महिंदा के बेटे नमल राजपक्षे खेल के साथ प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी संभाल रहे हैं। देश का कृषि मंत्रालय चमल राजपक्षे के पुत्र शाशेंन्द्र राजपक्षे के पास है। राजपक्षे परिवार के इसी कब्जे का विरोध हो रहा है। राजपक्षे की सरकार को समर्थन दे रहे 11 राजनीतिक दल खुलकर विरोध में सामने आए हैं। इन दलों ने देश के मौजूदा मंत्रिमंडल को भंग कर अंतरिम सरकार बनाने की मांग की है। इनका कहना है कि मौजूदा मंत्रिमंडल बढ़ती महंगाई सहित देश के हालात सुधारने में नाकाम साबित हुआ है।