नई दिल्ली, 31 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना और सेशेल्स रक्षा बलों (एसडीएफ) के बीच 22 मार्च से शुरू हुआ 9वां संयुक्त सैन्य अभ्यास ”लामितिये” गुरुवार को सेशेल्स में खत्म हो गया। भारतीय सेना और सेशेल्स रक्षा बल की एक-एक इन्फैंट्री प्लाटून कंपनी ने इस अभ्यास में भाग लिया। अभ्यास के दौरान दोनों रक्षा बलों ने अर्ध-शहरी वातावरण में दुश्मन के खिलाफ विभिन्न अभियानों के दौरान हासिल किए गए अनुभवों को एक-दूसरे से साझा किया।
भारतीय सैन्य दल के रूप में 2/3 गोरखा राइफल्स समूह (पीरकंठी बटालियन) के सैनिक अभ्यास में शामिल हुए। संयुक्त सैन्य अभ्यास ”लामितिये” में हिस्सा लेने के लिए भारतीय दल 21 मार्च को सेशेल्स पहुंच गया था। यह सैन्य अभ्यास द्विवार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत 2001 से सेशेल्स में हुई थी। यह सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास मौजूदा वैश्विक स्थिति और हिन्द महासागर क्षेत्र में बढ़ती हुई सुरक्षा चिंताओं की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के सामने आ रही सुरक्षा चुनौतियों के नजरिये से महत्वपूर्ण रहा है।
सैन्य प्रवक्ता के अनुसार एक सप्ताह तक चले संयुक्त अभ्यास में क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास, युद्ध चर्चा, व्याख्यान, प्रदर्शन शामिल रहे। आखिरी के दो दिवसीय प्रमाणीकरण अभ्यास के साथ यह प्रशिक्षण समाप्त हुआ। इस संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच कौशल, अनुभव और अच्छी प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान से द्विपक्षीय सैन्य संबंधों की स्थापना करके उन्हें बढ़ावा देना था। अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने संयुक्त परिचालन में नई पीढ़ी के उपकरणों का इस्तेमाल किया।
दोनों रक्षा बलों ने अर्ध-शहरी वातावरण में दुश्मन के खिलाफ विभिन्न अभियानों के दौरान हासिल किए गए अनुभव एक-दूसरे से साझा किए। अर्ध शहरी वातावरण में संभावित खतरों से निपटने का दोनों सेनाओं ने प्रशिक्षण लिया। इसके अलावा दुश्मन का मुकाबला करने में सामरिक कौशल को बढ़ाने और दोनों बलों के बीच अंतर-संचालन बढ़ाने पर पूरा ध्यान केंद्रित किया गया। इस संयुक्त सैन्य अभ्यास से भारतीय सेना और सेशेल्स रक्षा बलों (एसडीएफ) के बीच रक्षा सहयोग का स्तर और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद मिली है।
भारतीय सैन्य दल के कंपनी कमांडर मेजर अभिषेक नेपाल सिंह ने कहा कि इस द्विवार्षिक सैन्य अभ्यास ने दोनों सेनाओं के बीच द्विपक्षीय सैन्य सहयोग और अंतर-संचालन को मजबूत बनाने में काफी योगदान दिया है। हम विचार-विमर्श और सामरिक अभ्यासों पर आधारित अन्य स्थितियों के माध्यम से उप-पारंपरिक संचालनों में नई प्रौद्योगिकी के समावेश के साथ-साथ मान्य अभ्यासों और प्रक्रियाओं को शामिल करने के लिए व्यावहारिक पहलुओं को साझा करने के लिए भी तत्पर हैं।