माईखुली गांव दौरा कर ग्रामीणों के साथ की बैठक, असम में नहीं जाना चाहते क्षेत्र के लोग- जेनिथ संगमा
गारो हिल्स (मेघालय), 30 मार्च (हि.स.)। गारो हिल्स जिला अंतर्गत रंगसकुना वेस्ट विधानसभा क्षेत्र के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक जेनिथ संगमा ने बुधवार को माईखुली गांव दौरा करते हुए ग्रामीणों के साथ एक बैठक की। यह क्षेत्र अब से पहले मेघालय का हिस्सा था, लेकिन मंगलवार को नई दिल्ली में असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए किये गये समझौते के बाद गांव का कुछ हिस्सा, जिसमें गांव का मछली पालन वाला तालाब भी शामिल है, असम में शामिल किया गया है। इस दौरान संगमा ने स्थानीय लोगों के साथ बरपाथर और लोंगखुली क्षेत्रों का भी निरीक्षण किया।
बैठक में जेनिथ संगमा के साथ गारो छात्र संघ, विनेर सन डी संगमा, दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स जिला के सलमानपारा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक, माइखुली गांव के मुखिया और ग्रामीणों ने भाग लिया।
जेनिथ संगमा ने कहा, “इस क्षेत्र के लोग मदद के लिए रो रहे हैं और असम के लोग हमारे लोगों को बार-बार परेशान करते हैं।”
संगमा ने कहा, “मेघालय सरकार द्वारा मनरेगा की मंजूरी के तहत फुटपाथ का निर्माण किया गया है, लेकिन असम सरकार ने इसे नष्ट कर दिया और मेघालय के अधिकार क्षेत्र में अपना नया सरकारी कार्यालय स्थापित किया, यह एमडीए सरकार की कमजोरी को दर्शाता है।”
बरपाथर के एक ग्रामीण कोंग नोंगत्री ने कहा, “हम खासी में बोलते हैं, जिसे केवल मेघालय के नागरिक ही बोलना जानते हैं। हम अपनी जमीन की रक्षा करना चाहते हैं और हम मेघालय में सुरक्षित महसूस करते हैं।”
संगमा ने बोडो लोगों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि “मुख्यमंत्री (मेघालय) ने विधानसभा में सदन को गुमराह किया है, क्योंकि जैसा कि हम अब ग्राउंड जीरो पर देख सकते हैं कि इनमें से कोई भी असम में नहीं रहना चाहता, लेकिन हमारे मुख्यमंत्री ने कहा कि एमओयू लोगों की सहमति लेने के बाद हस्ताक्षर किए गए हैं, जो वास्तव में ऐसा नहीं है, इसलिए एमडीए सरकार द्वारा यह भ्रामक है।”
इस क्षेत्र में रहने वाले खासी (मारवेट), गारो, बोडो, नेपाली, नागा और अन्य जनजाति के लोग मेघालय में सुरक्षित महसूस करते हैं, वे मेघालय में रहना चाहते हैं, लेकिन सरकार उनके बारे में चिंतित नहीं है।