भोपाल, 29 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान में विश्व बाजार में गुणवत्तापूर्ण गेहूं की मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार निर्यातकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी। मध्यप्रदेश का गेहूं एमपी व्हीट के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में उच्च निर्यात क्षमता के देशों जैसे इजिप्ट, टर्की, अल्जीरिया, नाइजीरिया, तंजानिया आदि के बाजारों तक भारतीय एम्बेसी के सहयोग से पहुंच बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न पोर्ट ट्रस्ट गेहूं के निर्यात के लिए तात्कालिक भण्डारण के प्रबंध और गेहूं के जहाजों को प्राथमिकता के लिए सहमत है। निर्यातक को निर्यात की मात्रा पर भुगतान की जाने वाली मंडी फीस की प्रतिपूर्ति का कार्य मध्यप्रदेश सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार शाम को मंत्रालय में निर्यातकों और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मध्यप्रदेश के गेहूं के अधिकाधिक निर्यात पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों को लाभान्वित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। निर्यात संबंधी प्रक्रिया की अड़चनों को दूर किया जाएगा। भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयासों से प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को साकार करने का कार्य किया जाएगा।
चौहान ने कहा कि गेहूं का निर्यात कृषक, निर्यातकों और राष्ट्र हित में है। भारत से गेहूं और अन्य उत्पादों का निर्यात सभी के लिए लाभदायक है। रेल मंत्रालय आवश्यक रैक उपलब्ध करवाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भारत से गेहूं निर्यात बढ़ाने की मंशा से अवगत करवा चुके हैं। गत सप्ताह दिल्ली में केंद्रीय वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में निर्यातकों से बातचीत हो चुकी है।
बैठक में प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, भारत सरकार के खाद्य सचिव सुधांशु पांडे, अपर मुख्य सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास अजीत केसरी, अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेंद्र सिंह, प्रमुख सचिव खाद्य फैज अहमद किदवई और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। प्रदेश के विभिन्न नगरों से अनाज व्यापारी और निर्यातक भी बैठक में शामिल हुए और सुझाव भी प्रस्तुत किए।
प्रधानमंत्री मोदी की मंशा है निर्यात को बढ़ावा देना
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भारत से 400 बिलियन डॉलर के वाणिज्यिक निर्यात के लक्ष्य को लेकर प्रयासरत हैं। केंद्र सरकार निर्यात बढ़ाने के उपायों पर कार्य कर रही है। इस सिलसिले में निर्यात संवर्धन परिषद और संबंधित संस्थाओं के प्रयास तेज हुए हैं। मध्यप्रदेश के गेहूं के निर्यात से किसानों की आर्थिक समृद्धि का कार्य होगा।
मध्यप्रदेश का गोल्डन व्हीट दुनिया के हर कोने में पहुंचे
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश के शरबती गेहूँ और अन्य किस्मों की अलग पहचान है। इस वर्ष भी गेहूँ का बम्पर स्टाक उत्पादन हो रहा है। मध्यप्रदेश प्रतिवर्ष 360 मीट्रिक टन गेहूँ उत्पादन के साथ देश का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गत 6 माह में गेहूँ की विशेष किस्मों लोकवन, शरबती, मालवा शक्ति, सुजाता की खरीदी किसानों से मंडियों में की गई। प्रदेश की जलवायु और यहाँ की मिट्टी के कारण इसे सोने के दानों जैसा गेहूँ कहा जाता है। शरबती गेहूँ एवं डयूरम (कठिया) गेहूँ की काफी ज्यादा मांग है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की प्रमुख मंडियों में निर्यातकों को रियायती दर पर एक्सपोर्ट आधारित अधो-संरचना बनाने के लिए अस्थायी तौर पर भूमि और अन्य सुविधाएँ देने का आकलन किया जा रहा है। इसकी गुणवत्ता और पहचान को विश्व के बाजार में स्थापित करने का यह दुर्लभ अवसर भी है। यह गोल्डन व्हीट दुनिया के हर कोने में पहुँचे और इसका नाम ही इसकी पहचान बने, इसके लिए प्रयास तेज किए गए हैं। नई दिल्ली में निर्यातकों के साथ बैठक के बाद इसी उद्देश्य से आज भोपाल में यह बैठक बुलाई गई। आज प्राप्त सुझाव अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सहयोगी होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम निर्यात किए जाने वाले गेहूँ की गुणवत्ता का भी ध्यान रखेंगे।
निर्यातकों को मिलेंगी सुविधाएँ
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार निर्यातकों को आवश्यक सुविधा उपलब्ध करवाएगी। राज्य सरकार की मंशा है कि मुख्य निर्यातक मध्यप्रदेश से जुड़ जाएं। भारत सरकार के सभी संबंधित मंत्रालय, रेलवे,पोर्ट ट्रस्ट, भारतीय दूतावास, गेहूँ के रिकार्ड निर्यात के लिए प्रयासरत हैं। गेहूँ निर्यात प्रोत्साहन के लिए मध्यप्रदेश के गेहूँ के निर्यात पर निर्यातकों को मंडी शुल्क की वास्तविक प्रतिपूर्ति के अलावा प्रदेश में क्लीनिंग, ग्रेडिंग, सॉर्टिंग कर निर्धारित वैरायटी का गेहूँ ग्रेड ए और बी के मानक अनुसार किसानों से खरीद कर निर्यात करने पर ग्रेडिंग और सॉर्टिंग में लगने वाले खर्च की निर्यातक को प्रतिपूर्ति, भंडारित अतिरिक्त गेहूँ के स्टाक का प्राथमिकता से निर्यात, प्रदेश के शासकीय गोदामों को उपलब्ध करवाने पर आज की बैठक में चर्चा हुई है। इसके साथ ही प्रदेश के गेहूँ के निर्यात के लिए नवीन अंतरराष्ट्रीय बाजार विकसित करने के लिए विदेश मंत्रालय, एपीडा (कृषि और प्र-संस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और मध्यप्रदेश शासन द्वारा विभिन्न देशों से समन्वय कर दीर्घकालिक व्यापार अनुबंध की कार्यवाही पर हुई चर्चा सार्थक होगी।
उच्च स्तरीय बैठक में शामिल प्रतिनिधि
बैठक में केंद्रीय खाद्य सचिव के साथ ही अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। भारत सरकार के रेल मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों ने वर्चुअली हिस्सेदारी की। इनमें एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम. अंगमुथु, डीजीएफटी (विदेश व्यापार महानिदेशालय) के महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी, राज्य सरकार के संबंधित वरिष्ठ अधिकारी, प्रदेश के विभिन्न नगरों से आए प्रमुख व्यापारी और निर्यातक शामिल हैं। निर्यातकों ने अनेक सुझाव भी दिए।