उदयपुर, 25 मार्च (हि.स.)। किसी तैराक के दोनों हाथ नहीं थे तो किसी के दोनों पांव, कोई देख नहीं सकता था तो किसी के हाथ-पांव अविकसित थे, लेकिन एक बात सभी में समान थी, वह थी जीतने का जज्बा और जीवन में किसी भी परेशानी से हार नहीं मानने का संकल्प।
यह नजारा था शुक्रवार को उदयपुर के महाराणा प्रताप खेलगांव में शुरू हुई त्रिदिवसीय 21वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैम्पियनशिप का जिसमें सेना की एक टीम सहित 23 राज्यों के 400 दिव्यांग स्त्री-पुरुष तैराकों ने भाग लिया। पहले दिन राजस्थान के पैरा तैराकों ने 8 गोल्ड और 1 सिल्वर पदक पर कब्जा जमाया।
इससे पहले, पैरालिम्पिक कमेटी ऑफ इंडिया एवं नारायण सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान व महाराणा प्रताप खेलगांव सोसायटी के सहयोग से आयोजित इस चैम्पियनशिप के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि पद्मभूषण एवं पैरा ओलम्पियन देवेंद्र झाझड़िया ने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों को समाज और सरकार द्वारा जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं उससे निश्चित रूप से दिव्यांगों का हौसला बढ़ा है। उन्होंने पिछले ओलम्पिक में 19 पदक हासिल कर इस बात को सिद्ध कर दिया है कि हौसले और उचित प्रशिक्षण के सामने शारीरिक अक्षमता बाधक नहीं हो सकती।
संस्थान संस्थापक चेयरमैन पद्मश्री कैलाश मानव एवं संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने अतिथियों, पैरा तैराकों, टीम प्रबंधकों, प्रशिक्षकों का स्वागत किया। राजस्थान की टीम के पिंटू कुमार ने खिलाड़ियों को शपथ दिलाई।
पहले दिन राजस्थान के पैरा तैराकों ने 8 गोल्ड और 1 सिल्वर जीते
-पहले दिन की प्रतियोगिता में 24 इवेंट हुए। एस-1 से लेकर एस-10 शारीरिक अक्षम दिव्यांग, एस-11, एस-12 के नेत्रहीन एवं एस-14 बौद्धिक अक्षम के बालक बालिकाओं ने 23 प्रदेशों से भाग लिया। इसमें राजस्थान के 15 स्विमर ने हौसला दिखाया। 100 मीटर बेक और फ्री स्टाइल दोनों में किरण टांक ने 2 गोल्ड तथा साधना मलिक, जिया गमनानी, कंचन बाला ने फ्री स्टाइल में 1-1 गोल्ड जीते। जूनियर गर्ल्स एस-10 में 100 मीटर बेक स्टोक में सरोज ने व पूजा ने एस-9 में गोल्ड पर कब्जा किया। पुरुषों में उदयपुर से जगदीश तेली ने एस-9 श्रेणी 100 मीटर बेक मैन्स में सिल्वर मेडल जीता और अपनी प्रतिभा से सबका मन भी जीत लिया।