नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच अभी प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता जारी है।
वांग यी गुरुवार रात्रि काबुल से दिल्ली पहुंचे थे। उनकी यात्रा के बारे में विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी।
वांग यी के बारे में पहली बार आधिकारिक ट्वीट करते हुए विदेश मंत्री डॉ .एस जयशंकर ने कहा कि हैदराबाद हाउस में चीनी विदेश मंत्री वांग यी का अभिवादन किया। हमारी चर्चा शीघ्र ही शुरू होगी।
दोनों की वार्ता के बाद विदेश मंत्री मीडिया को इसकी जानकारी देंगे। वार्ता के कुछ विशेष परिणाम निकलने की संभावना है। विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात से पहले चीनी विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात की। चीन के विदेश मंत्री इसके बाद दोपहर को ही नेपाल जाएंगे। नेपाली विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है।
वर्ष 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य संघर्ष के करीब 2 साल बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा है। हालांकि चीनी विदेश मंत्री के साथ एस जयशंकर ने मास्को में मुलाकात की थी तथा दोनों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कई अवसरों पर बातचीत हो चुकी है।
चीन के विदेश मंत्री की यात्रा को यूक्रेन के मसले पर यूएन सुरक्षा परिषद में भारत की ओर से अपनाए गए रवैये के संबंध में देखा जा रहा है। सुरक्षा परिषद में दो बार और महासभा में एक बार भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। चीन ने भी यही रुख अपनाया था। हालांकि बुधवार को सुरक्षा परिषद में रूस के प्रस्ताव पर दोनों देशों ने अलग-अलग रवैया अपनाया। यूक्रेन में मानवीय संकट संबंधी रूस के प्रस्ताव के पक्ष में चीन ने मतदान किया था जबकि भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया था।
वांग यी ओआईसी की बैठक में भाग लेने के बाद काबुल पहुंचे थे और वहां से भारत आए हैं। ओआईसी बैठक में उन्होंने कश्मीर का उल्लेख किया था जिसपर विदेश मंत्रालय ने आपत्ति व्यक्त की थी।
वांग यी की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब लद्दाख में टकराव के बिंदुओं पर सेनाओं को पीछे हटाने और शांति कायम करने की प्रक्रिया में गतिरोध बरकरार है।