गाजीपुर, 23 मार्च (हि.स.)। पुण्य के कार्य में किया गया छोटा सा सहभाग कई पीढ़ियों को गौरवान्वित करता है। सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर दर्शन से मुझे अपार ऊर्जा प्राप्त हुई है। इस ऊर्जा का प्रयोग लोक कल्याण में करना ही जीवन का ध्येय है।
उपरोक्त बातें बुधवार को गाजीपुर जनपद के सिद्धपीठ हथियाराम मठ दर्शन करने पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि यह सिद्ध पीठ महान है, जहां सिद्ध संतों की 26वीं पीढ़ी लोक कल्याण के निमित्त यज्ञ का अनुष्ठान व सामाजिक सरोकारों में बढ़-चढ़कर भाग लेती है। यहां के दर्शन से ऊर्जा प्राप्त होती है।
मोहन भागवत को ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण व अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए प्रमुख कारक बताएं जाने का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब आप लोगों के सहयोग व परिश्रम का प्रतिफल है। जो कुछ भी होता है वह ईश्वर की कृपा से ही संभव हो पाता है।
इसके पूर्व सिद्धपीठ हथियाराम मठ में 26वें पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर महंथ श्री भवानीनंदन यति के रजत जयंती समारोह जागरण द्वारा ‘राष्ट्रीय उन्नयन अधिष्ठान’ विषयक संगोष्ठी के समारोह व धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम में आरएसएस सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर महंत श्री बालकृष्ण यती जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित किया।
उन्होंने कहा कि आज का दिन (शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत दिवस होने की वजह से) अति महत्वपूर्ण है। ऐसे अवसर पर मंचीय कार्यक्रम की शुरुआत होगी। संतों का स्वभाव ही सरल होता है, आज राम की चर्चा मैं अकेला नहीं करने वाला हूं, राम की चर्चा तो पूरा भारत ही करता चला आ रहा है। उनका भी श्रेय संतों के आशीर्वाद का ही है। प्रभु श्री राम की इच्छा से ही सब कुछ होता है।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का उत्थान होता है, वह भी भगवान ही करता है। यहां धर्म का स्थान है, जहां 25 पीढ़ियों के धर्म की तपस्या यहां पर चल रही है। सनातन धर्म को मानना भी भगवान की इच्छा ही होती है। हमारे यहां मानवता को बढ़ाने को भारत में भगवान की पूजा करके आत्म स्वरूप का दर्शन करते हैं। भारत में देव, अग्नि को भी देव धर्म माना जाता है। इस सिद्धपीठ में मृणमयि रूप में स्थापित मां जगदंबा के मिट्टी की मूर्ति विराजमान है, जो इस देश में सनातन जीवन चला वह भारत में देखने को मिलता है।
संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे देश ने दुनिया को बाजार नहीं कुटुम्ब बनाया। यह हमारा झंडा है, जो एक बगीचे जैसा है। जो एक मिट्टी के हैं हम एक भाई जैसे हैं।
मौके पर सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्री भवानीनंदन यति महाराज ने कहा कि 26 वर्षो से मां के चरणों में नमन करता चला आ रहा है। यहां का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। उन्होंने अपने भारत के प्रमुख तीर्थ का जिक्र करते हुए बताया कि उज्जैन महाकाल की धरती पर 2018 में मुलाकात हुई। मेरे काशी के होने पर इन्होंने काशी आने पर मुझसे मिलने की बात कहे थे। आज के दिन राष्ट्रीय व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सरसंघचालक के संत का पदार्पण करना इस पीठ के गौरव की बात है।
मुख्य अतिथि सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ डॉक्टर मोहन भागवत द्वारा शहीदों के प्रतिनिधियों को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। जिसमें परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के पुत्र जैनुल बसर, महावीर चक्र विजेता शहीद रामउग्रह पांडेय की पुत्री सुनीता पांडेय, शहीद पारसनाथ सिंह के पुत्र सचिंद्र सिंह, शहीद रामचन्द्र मिश्र की धर्मपत्नी रामलली देवी व अष्टशहीद रितेश्वर राय के प्रतिनिधि रामनारायण राय को अंग वस्त्रम से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय शहीद सम्मान सेवा समिति अध्यक्ष श्रीराम जायसवाल द्वारा सरसंघचालक मोहन भागवत को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक रमेश, सह प्रांत प्रचारक मनीष, विभाग प्रचारक जगदीश, विभाग कार्यवाह शिव प्रकाश, सह विभाग कार्यवाह आनंद, जिला प्रचारक कमलेश, जिला कार्यवाह नागेंद्र जी, विभाग कार्यवाह वीरेंद्र जौनपुर, जिला कार्यवाह दुर्गा प्रसाद, विभाग संघचालक सच्चिदानंद राय, जिला संघचालक फैलू सिंह यादव, जोगिंदर सिंह पप्पू, पारसनाथ राय, गणेश जी, डॉक्टर संतोष मिश्रा, आनंद मिश्रा, ओम प्रकाश सहित काफी संख्या में संघ परिवार सहित उन्य क्षेत्र के लोग रहे।
जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह व पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह, क्षेत्राधिकारी गौरव सिंह, उप जिला अधिकारी वीर बहादुर यादव एवं सहित काफी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी रहे।