नई दिल्ली, 23 मार्च (हि.स.)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को अमर शहीद हेमू कालानी के जयंती शताब्दी वर्ष शुभारंभ पर आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की ।
यह स्मरण करते हुए कि आज ही के दिन वर्ष 1931 में शहीद-ए आजम सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने सर्वोच्च बलिदान दिया था और आज ही के दिन साल 1923 में शहीद हेमू कालानी का जन्म हुआ था, बिरला ने कहा कि 20 वर्ष से भी कम आयु में हेमू कालानी जी देश के लिए बलिदान हो गए थे। स्वतंत्रता के बाद संसद परिसर में हेमू कालानी की स्मृति संजोए रखने के लिए उनकी प्रतिमा स्थापित की गई थी। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष हमारा देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष भी पूरे कर रहा है और यह सुखद संयोग है कि देश अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के साथ अपने अमर सपूत की जयंती का शताब्दी वर्ष भी मना रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह अवसर शहीद हेमू कालानी के जीवन संदेश को, उनकी अनमोल विरासत को और अधिक समृद्ध बनाएगा।
बिरला ने कहा कि शहीद हेमू कालानी बचपन से ही साहसी और क्रांतिकारी प्रवृत्ति के थे और किशोर आयु में ही उन्होंने अपने साथियों के साथ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और लोगों से स्वदेशी अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने साल 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी भागीदारी की। हेमू को जेल में यातनाएं दी गईं, उनके साथियों के नाम पूछे गए; मगर हेमू कालानी जी ने अपने एक भी साथी का नाम बताने से इनकार कर दिया। बिरला ने कहा कि इतने साहसी व्यक्तित्व विश्व के इतिहास में गिने-चुने ही देखने को मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि शहीद हेमू कालानी जैसे क्रांतिवीर देश के नौजवानों के लिए प्रेरणा का अविरल स्रोत हैं और आज जरूरत हैं कि देश की युवा पीढ़ी इनके बारे में पढ़े और उनके जीवन का ध्येय समझे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शहीद हेमू कालानी के जीवन वृत्त से जुड़ा साहित्य देश के हर प्रांत, हर वर्ग के लोगों को प्रेरित करेगा ।