Indian Army : उज्बेकिस्तान के यांगियारिक में शुरू हुआ भारत-उज्बेक संयुक्त प्रशिक्षण सैन्य अभ्यास

नई दिल्ली, 22 मार्च (हि.स.)। भारत-उज्बेक सेनाओं के बीच संयुक्त प्रशिक्षण सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक’ का तीसरा संस्करण मंगलवार से उज्बेकिस्तान के यांगियारिक में शुरू हुआ। 31 मार्च तक चलने वाले इस अभ्यास में भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की एक प्लाटून शामिल हो रही है। इस अभ्यास का पिछला संस्करण मार्च, 2021 में रानीखेत (उत्तराखंड) में आयोजित किया गया था। युद्ध कौशल को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट उज्बेकिस्तान सेना के साथ प्रशिक्षण सैन्य अभ्यास करने के लिए आज यांगियारिक के लिए रवाना हुई। यह संयुक्त अभ्यास अर्ध-शहरी इलाके में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्य रूप से सामरिक स्तर के अभ्यासों को साझा करने और एक दूसरे से सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने पर केंद्रित होगा। अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच समझ और सहयोग को बढ़ाना है। यह अभ्यास 24 घंटे लंबे सत्यापन के बाद समाप्त होगा जो दोनों सेनाओं के लिए अहम होगा, क्योंकि अभ्यास के आखिरी दौर में दोनों को नकली परिदृश्यों में संचालन की चुनौतियों से गुजारा जायेगा।

अभ्यास में हिस्सा लेने गई भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स बटालियन को देश की आजादी से पूर्व और बाद के महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लेने का अनूठा गौरव प्राप्त है। इस यूनिट को आठ स्वतंत्रता-पूर्व युद्ध सम्मान से सम्मानित किया गया है। स्वतंत्रता के बाद इसने 1965 के युद्ध में थिएटर सम्मान ‘राजस्थान’ और 1971 के युद्ध में युद्ध सम्मान ‘जरपाल’ अर्जित किया है। इस अभ्यास का पहला संस्करण नवम्बर, 2019 में उज्बेकिस्तान में आयोजित किया गया था। दूसरा संस्करण मार्च, 2021 में रानीखेत (उत्तराखंड) में आयोजित किया गया था।

दोनों देशों की सेनाएं पहाड़ी ग्रामीण और शहरी परिदृश्य में आतंकी कार्रवाई से निटपने की कुशलता विकसित करने का सैन्य अभ्यास करेंगी। विशेष बलों पर नजर रखने की तकनीक, हाई-टेक कमांड पोस्ट के माध्यम से निगरानी, हेलीकॉप्टरों से संचालन और खुफिया-आधारित सर्जिकल स्ट्राइक इस अभ्यास के मुख्य आकर्षण होंगे। ड्रिल में एक मॉड्यूल भी होगा, जिसमें दोनों सेनाएं एक-दूसरे से रिहायशी इलाकों में काउंटर-टेरर ऑपरेशन के दौरान भारी नुकसान न होने की तकनीक सीखेंगी। दोनों सेनाएं पर्वतीय, ग्रामीण और शहरी परिदृश्य में काउंटर आतंकवादी अभियानों के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता और कौशल साझा करेंगी।

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