-खुदरा कंपनियों का घाटा बढ़ा, खुदरा पंप बंद होने की आशंका
-थोक खरीदारों की लंबी लाइन, शटर गिरा सकती हैं ये कंपनियां
नई दिल्ली, 21 मार्च (हि.स.)। यूक्रेन-रूस संकट के बीच थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल 25 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। डीजल में यह इजाफा थोक उपभोक्ताओं के लिए किया गया है, जिसके बाद से खुदरा पेट्रोल पंप पर थोक खरीदारों की लंबी लाइन लगने लगी है। हालांकि, पेट्रोल पंप के जरिये बेचे जाने वाले डीजल की खुदरा कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
इस बढ़ोतरी के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल पपों पर डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर है, जबकि थोक या औद्योगिक ग्राहकों के लिए इसकी कीमत 115 रुपये बढ़कर प्रति लीटर हो गया है। इसी तरह आर्थिक राजधानी मुंबई में थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल का दाम बढ़कर 122.05 रुपये प्रति लीटर हो गया है जबकि पेट्रोल पंपों पर डीजल 94.14 रुपये प्रति लीटर के भाव बिक रहा है।
तेल कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 40 फीसदी तक उछाल के बाद यह कदम उठाया है। इस महीने पेट्रोल पंपों की बिक्री में 20 फीसदी तक का उछाल आया है। आमतौर पर बस बेड़े के ऑपरेटरों और मॉल जैसे थोक उपभोक्ता पेट्रोलियम कंपनियों से सीधे ईंधन की खरीदते हैं। हालांकि इस बार वह पेट्रोल पंपों से ईंधन खरीद रहे हैं, जिससे ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है।
दरअसल, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने 4 नवंबर, 2021 से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाये हैं लेकिन निजी क्षेत्र की तेल कंपनियां नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल जैसे निजी क्षेत्र की खुदरा विक्रेता सबसे अधिक प्रभावित हैं। कच्चा तेल अभी भी 110 डॉलर प्रति बैरल पर है, जिससे तेल कंपनियों को करीब 7 से 10 रुपये प्रति लीटर का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
ऐसे में थोक उपभोक्ताओं ने इन कंपनियों की परेशानी और बढ़ा दी है। थोक उपभोक्ताओं के लिए कीमत में यह बढ़ोतरी निजी तेल कंपनियों के गले की फांस बन गई है, उनके सामने अब अपने पंप बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।