हड्डियां 100 जगहों से टूटीं, पर हौसले आसमान पर

वाराणसी, 28 जनवरी (हि.स.)। जीवन में कभी-कभी शारीरिक हालत इतने कठिन हो जाते हैं कि उनसे उबर पाना सामान्य इंसान के बूते से बाहर हो जाता है। ऐसे में जिंदगी के बेहद मुश्किल दौर में इंसान के भीतर आत्मबल और उम्मीद की यदि एक भी किरण शेष है तो फिर जीने का माद्दा मिल ही जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है 34 वर्षीय दिव्यांग आस्था की। आस्था एक ऐसी बीमारी से ग्रसित हैं जो लाखों करोड़ों लोगों में एक को होती है। इनके शरीर की हड्डियां 100 जगहों से टूटी हैं। शरीर में 12 ऑपरेशन होने के बाद राड लगे। वर्ष 2002 में किसी तरह से व्हीलचेयर पर इंटर पास हुईं। आज पूरे 20 वर्ष हो गये आस्था बेड से उठ नहीं पाईं, अस्थियां इतनी कमजोर हैं कि बैठने पर भी टूट सकती हैं। इसलिए हमेशा लेटे रहती हैं। जीवन के बेहद कठिन हालात में जीवनलीला समाप्त कर लेने के बजाय आस्था ने अपने नाम के अनुरूप जीवन और ईश्वर के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखा। संघर्ष की नई लकीर खींच दी जो सबके लिए प्रेरणाश्रोत है।

आस्था ने पूरे हौसले के साथ दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रखी। कंप्यूटर में इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से डिग्री ली और आज एक ग्राफिक डिजाइनर के रूप में काम कर रही हैं। आस्था ने अपना यूट्यूब चैनल खोला है। बिस्तर से ही आस्था सारे वो काम करती हैं जो एक सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकता। आस्था के संघर्ष की जानकारी पर उनके घर पहुंचे भाजपा नेता दिव्यांग बंधु डॉ. उत्तम ओझा बताते हैं कि आस्था बेड पर लेटे-लेटे ही कंप्यूटर पर कार्य करती हैं। इस दौरान उनकी अंगुलियों की जादूगरी देखते बनती है।

डॉ. उत्तम बताते हैं कि आस्था ने गली में घूमने वाले लावारिस पशुओं के लिए एक संस्था बनाई है। इस संस्था के माध्यम से जीव संरक्षण का कार्य कर रही हैं। आस्था के हौसले को देखकर वे अचंभित रह गए। किसी भी प्रकार का कहीं से कोई सहयोग न मिलने के बावजूद उनके अंदर गजब का आत्मबल है। उन्होंने लोगों से आस्था के सहयोग में आगे आना का आह्वान किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *