नई दिल्ली, 28 जनवरी (हि.स.)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करेंगी। आने वाले बजट से सभी उम्मीद कर रहे हैं कि वह ऐसा हो जो कोविड-19 की तीसरी लहर के वक्त अर्थव्यवस्था को ताकत दे। हम आपको यहां आम बजट से जुड़ी छह परंपराओं के बारे में बता रहे हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में बदली गई है।
हलवा के बजाय बांटी गई मिठाई
कोविड-19 वायरस के ओमिक्रोन स्वरूप को लेकर चिंता के बीच वित्त मंत्रालय ने इस बार आम बजट से पहले परंपरागत ‘हलवा समारोह’ को छोड़ दिया है। आमतौर पर कर्मचारियों के घर-परिवार से अलग रहने और बजट दस्तावेज की छपाई का काम परंपरागत ‘हलवा समारोह’ से शुरू होता रहा है। लेकिन, इस साल इन कर्मचारियों में ‘हलवा’ के बजाय मिठाइयां बांटी गई है।
अब प्रिंट नहीं होता आम बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट प्रक्रिया से जुड़े एक और नियम को बदल दिया। ये उनका चौथा बजट होगा, जो कागज रहित होगा। एक ऐतिहासिक पहल के तहत पहली बार वित्त वर्ष 2021-22 में आम बजट को कागज रहित स्वरूप में पेश किया गया था। सांसदों और आम लोगों की आसानी से बजट दस्तावेजों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ‘यूनियन बजट मोबाइल ऐप’ शुरू की गई थी। हालांकि, ये बदलाव कोविड-19 महामारी के कारण करना पड़ा, जो इस बार भी होगा।
ब्रीफकेस की जगह बही-खाता
देश के पहले वित्त मंत्री आरसीकेएस चेट्टी जब 1947 में आजादी के बाद का पहला बजट पेश करने आए तो वह चमड़े के एक ब्रीफकेस में बजट लेकर संसद पहुंचे थे। तब से इस परंपरा का पालन हो रहा था लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस परंपरा को बदल दिया। सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 में अपना पहला आम बजट पेश किया, तो वह 5 जुलाई 2019 को लाल कपड़े के एक बस्ते में बजट लेकर संसद पहुंचीं। उन्होंने बजट ब्रीफकेस को “बही-खाता” से बदलकर देश का ध्यान आकर्षित किया।
बजट पेश करने की तारीख बदली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने साल 2017 में आम बजट पेश करने की तारीख को बदल था। साल 2017 से पहले तक बजट फरवरी महीने के आखिरी दिन को पेश होता था। लेकिन, अरुण जेटली ने इसे 1 फरवरी को पेश करना शुरू कर दिया। इसका कारण था कि आम बजट से जुड़ी हुई सभी प्रक्रियाओं को नया वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) शुरू होने से पहले खत्म किया जा सके।
खत्म हुआ अलग से रेलवे बजट
वर्ष 2016 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ही जब आम बजट पेश किया तो इससे जुड़ी एक और बड़ी परंपरा को बदल दी। इस साल रेल बजट को आम बजट के एक हिस्से के रूप में पेश किया गया। उसके बाद से रेल बजट को आम बजट के हिस्से के रूप में पेश किया जाने लगा। इससे पहले वर्ष 1924 से रेल बजट को हमेशा अलग से पेश किया गया। रेल बजट संसद में आम बजट से एक दिन पहले रेल मंत्री पेश करते रहे। लेकिन, जेटली के समय से वित्त मंत्री आम बजट के साथ ही रेल बजट को एक साथ पेश करते हैं।
खत्म हो गई पंचवर्षीय योजनाएं
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में वर्ष 2015 में योजना आयोग को खत्म करके नीति आयोग का गठन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के वक्त से चली आ रही पंचवर्षीय योजनाओं को बंद कर दिया। दरअसल पंचवर्षीय योजनाओं से जुड़ी घोषणाएं देश के आम बजट का एक बड़ा हिस्सा होती थीं, लेकिन, साल 2017 में ही सभी पंचवर्षीय योजनाएं खत्म हो गई थी। क्योंकि, आखिरी पंचवर्षीय योजना का वक्त साल 2012 से 2017 तक ही था।