मुख्यमंत्री के समक्ष गोरखा और तिवा समुदाय के 246 उग्रवादियों का आत्मसमर्पण

गुवाहाटी, 27 जनवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के समक्ष गुरुवार को गोरखा और तिवा उसमुदाय के उग्रवादी समूहों यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (यूजीपीए) और तिवा लिबरेशन आर्मी (टीएलए) के 246 सदस्यों ने आत्मसमर्पण कर दिया है।

गुरुवार को गुवाहाटी के पांजाबारी स्थित श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में असम सरकार और असम पुलिस के आयोजित समारोह में कुल 169 यूजीपीओ और 77 टीएलए सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री सरमा ने उग्रवादी समूहों आरएनएलएफ, यूपीआरएफ, एनएलएफबी, एनएसएलए और एडीएफ के 662 पूर्व कैडरों को 1.5 लाख रुपये का वित्तीय अनुदान भी वितरित किया।

आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों का समाज की मुख्यधारा में वापस आने का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में असम में स्थायी शांति के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में 27 जनवरी का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि इस दिन 2020 में नई दिल्ली में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कहा कि यह देखना सभी के लिए महत्वपूर्ण है कि बीटीआर में शांति कैसे लौटी है और वहां विकास की गति शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि जातीय चरमपंथी समूहों के साथ शांति समझौता केवल बातचीत के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जैसा कि हाल के उदाहरणों से साबित होता है।

डॉ. सरमा ने उल्फा (स्वाधीन) और केएलओ, दो शेष प्रमुख चरमपंथी समूहों को आगे आने और भारत सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होने का आह्वान किया। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले सभी उग्रवादियों को 10 मई तक पुनर्वासित करने और उन्हें समाज का अभिन्न अंग बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने कहा, “आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को सम्मानजनक जीवन जीने और असम की प्रगति में सार्थक योगदान देने के लिए उद्यमिता और कृषि में संलग्न होना चाहिए। उन्हें आजीविका और रोजगार पैदा करने के लिए वित्तीय अनुदान का विवेकपूर्ण उपयोग करना होगा। हम उन पथभ्रष्ट युवाओं को गले लगा रहे हैं जो घर वापस आ गए हैं और उनसे उम्मीद करते हैं कि वे एक मजबूत असम बनाने के लिए अपने जोश और ताकत का इस्तेमाल करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभी अपनी जाति के प्यार और अपनी वास्तविक मांगों को पूरा करने के लिए उस रास्ते पर चल पड़े हैं। अब बंदूक से नहीं बल्कि असम के आर्थिक विकास के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ क्रांति शुरू करने का समय है। उन्होंने कहा कि राज्य को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने और उसकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्हें हाथ मिलाना चाहिए।

इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री अशोक सिंघल, बीटीआर के सीईएम प्रमोद बोडो, टीएसी के सीईएम जिबोन चंद्र कोंवर, विधायक लॉरेंस इस्लेरी, जोलेन जैमरी, डीजीपी भास्करज्योति महंत और अन्य सम्मानित व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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