(अपडेट) भारत-मध्य एशिया सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 27 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को मध्य एशिया के देशों के साथ भारत के सहयोग को क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया और कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम के संबंध में हम सभी देशों को साझा रवैया अपनाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो लिंक के जरिए आज कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों की भागीदारी के साथ भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की पहली बैठक की मेजबानी की।

प्रधानमंत्री मोदी ने शिखरवार्ता के खुले सत्र में अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम से क्षेत्रीय सुरक्षा को उत्पन्न खतरे को लेकर हमारी साझा चिंतायें हैं। इस संबंध में साझा रवैया अपनाने की आवश्यकता है जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित हो सके।

पूर्व सोवियत संघ के विघटन के बाद अस्तित्व में आए इन मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के तीन दशकों के राजनयिक संबंधों को उन्होंने सार्थक बताया। उन्होंने कहा कि संबंधों को व्यापक और मजबूत बनाने के लिए हमें एक महत्वकांक्षी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने अगले तीन वर्षों के आपसी संबंधों के विकास का रोडमैप तैयार करने का सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के मध्य एशिया के साथ निकट संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि की आवश्यक शर्त हैं। यह संबंध भारत की विस्तृत पड़ोस नीति का हिस्सा हैं।

उन्होंने आपसी सहयोग के लिए एक प्रभावी ढांचा तैयार करने पर जोर दिया ताकि निरंतर संपर्क और संवाद कायम रहे। उन्होंने इस क्षेत्र में संपर्क सुविधाओं को कायम करने एवं उनके विस्तार पर भी जोर दिया।

मोदी ने अपने संबोधन में कजाकिस्तान के साथ भारत के पुराने सुरक्षा संबंधों का जिक्र किया तथा उसके साथ संबंधों को भारत की ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने उज्बेकिस्तान के साथ भारत के विभिन्न राज्यों के संपर्क सहयोग की भी चर्चा की।

मोदी ने कहा कि तुर्कमेनिस्तान क्षेत्रीय संपर्क की स्थिति से भारत के लिए महत्वपूर्ण है। इस संबंध में उन्होंने क्षेत्रीय देशों के बीच संपर्क सुविधा संबंधी अश्गाबाद समझौते का उल्लेख किया। उन्होंने किर्गिज गणराज्य में भारत की छात्र-छात्राओं के अध्य्यन की भी चर्चा की।

खुले सत्र के बाद इन नेताओं ने शिखरवार्ता के एजेंडे पर विचार-विमर्श किया।

विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच यह पहला इस स्तर का संवाद है। शिखर सम्मेलन मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के प्रगाढ़ होते संबंधों का प्रतिबिंब है, जो भारत के ‘विस्तृत पड़ोस’ का हिस्सा हैं।

मंत्रालय के अनुसार पहले शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने से जुड़े कदमों पर चर्चा की उम्मीद है। इससे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान होने की संभावना है। शिखर सम्मेलन भारत और मध्य एशियाई देशों के नेताओं द्वारा व्यापक और स्थायी भारत-मध्य एशिया साझेदारी के महत्व का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में सभी मध्य एशियाई देशों की ऐतिहासिक यात्रा की थी। इसके बाद द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों के बीच उच्च स्तर पर आदान-प्रदान हुआ है। विदेश मंत्रियों के स्तर पर भारत-मध्य एशिया वार्ता की शुरुआत ने संबंधों को गति प्रदान की है। इसकी तीसरी बैठक पिछले साल 18-20 दिसंबर तक नई दिल्ली में हुई थी।

पिछले साल ही 10 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के सचिवों की भागीदारी रही थी। इस वार्ता के चलते तालिबान के प्रशासन में आए इस देश के प्रति एक सामान्य क्षेत्रीय दृष्टिकोण रेखांकित किया गया था।

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