ढाका, 25 जनवरी (हि.स.)। अतिक्रमण और विस्तारवादी नीतियों की वजह से पूरे एशिया के लिए खतरा बन चुका चीन अब बांग्लादेश के खिलाफ भी साजिश रच रहा है। आर्थिक मोर्चे पर बांग्लादेश को लगातार कमजोर करने की कोशिश में जुटे चीन को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है।
बांग्लादेश का वर्तमान विदेशी कर्ज 4,945 करोड़ 80 लाख अमेरिकी डॉलर है। इस हिसाब से आज बांग्लादेश में जन्म लेने वाले प्रति बच्चे के सिर पर 292.11 अमेरिकी डॉलर के विदेशी ऋण का बोझ स्वत: आ जाता है। बांग्लादेशी मुद्रा में यह राशि 24,690 टाका 79 पैसे है। इस सबके बीच बांग्लादेश में निवेश कर रही विदेशी खास कर चीनी कंपनियों की कार्यपद्धति पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि ये कंपनिया विकास के नाम पर, गैर-जरूरी क्षेत्रों को ऋण दे रही है्ं। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) सहित विदेशी कर्ज दाताओं द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए न्यूनतम दर देकर टेंडर हथियाने एवं बाद में उक्त परियोजना की लागत बढ़ाने के आरोप भी चीनी कंपनियों पर लगते रहे हैं। विकास में भागीदार के रूप में चीन बांग्लादेश के लोगों का विश्वास अर्जित करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रचार अभियान भी चला रहा है। इसका फायदा उठाकर चीन बांग्लादेश को घटिया क्वालिटी की प्रतिबंधित वस्तुओं का निर्यात कर रहा है, जिसका बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है।
बांग्लादेश के विशेषज्ञों की राय है कि चीन श्रीलंका की तरह बांग्लादेश को भी दिवालिया करने की साजिश रच रहा है। बांग्लादेश के इस्लामी विचारक, पूर्व व्यापार मंत्री, पूर्व गवर्नर और कुछ अर्थशास्त्रियों ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के साथ बातचीत में इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है।
चीन मानवता का दुश्मन : मिसबाहुर रहमान
बांग्लादेश इस्लामिक यूनिटी एलायंस के अध्यक्ष इस्लामिक विचारक मिसबाहुर रहमान चौधरी ने कहा कि सरकारी नौकरशाहों की सलाह पर चीन को विकास भागीदार के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। यह सच है कि देश के कुछ भ्रष्ट नौकरशाहों के जरिए चीन विकास परियोजनाओं के लिए ऋण सहायता दे रहा है। इन चीनी ऋण परियोजनाओं की लागत आसमान छू रही है। जहां एक किलोमीटर रेलवे लाइन के निर्माण में भारत के ऋण पर 10 करोड़ रुपये की लागत आ रही है, उसी रेलवे के निर्माण पर चीनी ऋण पर निर्माणाधीन परियोजना पर 132 करोड़ रुपये की लागत आ रही है।
चीन ने 16 हजार करोड़ रुपये की पद्मा रेल लिंक परियोजना की लागत बढ़ाकर 41 हजार करोड़ रुपये कर दी है। चीनी कंपनियों के साथ इसमें कुछ स्थानीय कंपनियां और कुछ भ्रष्ट नौकरशाह शामिल हैं। वे कनाडा सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पैसे की तस्करी कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी परंपरा के अनुसार भी पर्यावरण के लिए हानिकारक लाइट और आतिशबाजी जैसे प्रतिबंधित उत्पादों को बांग्लादेश में बेचा जा रहा है। इन चीनी उत्पादों को झूठे एचएस कोड का उपयोग करके आयात किया जा रहा है। इस साल, राजधानी ढाका में कम से कम 11 स्थानों पर अंग्रेजी नव वर्ष मनाने के लिए चीन से आयातित कम गुणवत्ता वाले प्रतिबंधित पटाखे जलाए गए। बांग्लादेश में पटाखों की आवाज से बच्चों समेत कई लोगों की मौत हो गई है। चीन भले ही हमारा विकास भागीदार हो लेकिन वह किसी का मित्र नहीं हो सकता।
अर्थशास्त्री प्रोफेसर मोहम्मद महबूब अली ने कहा, “जब हम ऋण देने के बारे में सुनते हैं तो हमें अति उत्साहित नहीं होना चाहिए। जिन नौकरशाहों की सलाह पर बुलेट ट्रेन सर्वेक्षण पर 110 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, उन्हें न्यायालय के कटघरे में खड़ा करने की जरूरत है। नौकरशाहों ने अपने हित में ऐसा किया है। नौकरशाहों को पता है कि अगर नारायणगंज से लकसाम और कोमिला तक कॉर्डलाइन बनती हैं, तो चटगांव से दूरी 90 किमी तक कम हो जाएगी। इससे समय और किराया कम होगा लेकिन नौकरशाहों की इसमें दिलचस्पी कम है।
बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर एवं अर्थशास्त्री अतीउर रहमान ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति में बांग्लादेश श्रीलंका बनने की स्थिति में नहीं है लेकिन अब हमें कर्ज लेने में सावधानी बरतने की जरूरत है। बांग्लादेश के योजना आयोग को अपना नियंत्रण बढ़ाना होगा ताकि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय निविदाओं में भाग लेकर सबसे कम बोली लगाने वाले बाद में परियोजना लागत को तीन गुना चौगुना करना संभव न हो। प्रत्येक नई परियोजना में लागत वृद्धि को प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
संसद में विपक्ष के नेता एवं जातीय पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व वाणिज्य मंत्री गुलाम मोहम्मद (जीएम) कादर ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में एक करोड़ से अधिक प्रवासी हैं। प्रवासियों द्वारा भेजे गए वित्त सकल घरेलू उत्पाद में 12 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं। प्रवासियों द्वारा भेजे गए वित्त के आधार पर बांग्लादेश बैंक के भंडार में वृद्धि हो रही है लेकिन एयरपोर्ट समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में प्रवासियों के योगदान का सही आकलन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से नवीनतम 1.45 अरब ऋण सहायता के कारण बांग्लादेश बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है। हालांकि, बांग्लादेश को श्रीलंका बनने में देर नहीं लगेगी, अगर वह नौकरशाहों की सलाह पर विकास के नाम पर कर्ज के पैसे की लूट को नहीं रोक सका। न केवल सरकार बल्कि बांग्लादेश के लोगों को भी उन चीनी कंपनियों के प्रति सजग होने की जरूरत है, जिन्होंने श्रीलंका को बेवजह कर्ज में फंसाकर दिवालिया बना दिया है।