ऑयल कंपनियों पर एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ाने का दबाव

 अंतरराष्ट्रीय बाजार में डेढ़ महीने के भीतर 25 प्रतिशत महंगा हुआ कच्चा तेल

नई दिल्ली, 25 जनवरी (हि.स.)। देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी करने का दबाव बनने लगा है। पिछले डेढ़ महीने के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 25 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बावजूद देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने लंबे समय से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया है, जिसकी वजह से इन ऑयल मार्केटिंग कंपनी का नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 दिसंबर 2021 को कच्चे तेल की कीमत 68.87 डॉलर प्रति बैरल थी। 17 दिसंबर 2021 तक कच्चे तेल की कीमत में मामूली इजाफा हुआ। 17 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 70.25 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। उसके बाद से कच्चे तेल की कीमत में कुछ मौकों को छोड़कर लगातार बढ़ोतरी होती रही है। 2021 के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर को कच्चा तेल 75.21 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया था, जबकि 2022 के पहले दिन यानी 1 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 76.08 डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था।

इसके बाद मकर संक्रांति के दिन यानी 14 जनवरी तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 8.36 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हो गया। जिसके कारण इसकी कीमत प्रति बैरल 84.44 डॉलर तक पहुंच गई। वहीं आज की तारीख में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का वायदा भाव 88.76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। जाहिर है कि 1 दिसंबर से लेकर अभी तक में कच्चे तेल की कीमत में 19.89 डॉलर प्रति बैरल तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिन में कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को भी पार कर सकती है।

बताया जा रहा है कि दुनिया भर में कोरोना संकट की वजह से तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने पहले ही कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर दी है। पिछले अक्टूबर महीने से ही ओपेक और उसके सहयोगी देशों ने अंतरराष्ट्रीय मांग के हिसाब से ही कच्चे तेल का उत्पादन करने की रणनीति अपनाई है, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की तंगी लगातार बनी हुई है।

इसके साथ ही यूक्रेन और रूस के बीच हाल के दिनों में बढ़े तनाव की वजह से भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पर काफी दबाव पड़ा है। इस तनाव के कारण किसी अनहोनी की आशंका को टालने के लिए कई देशों ने कच्चे तेल का अतिरिक्त भंडारण करना शुरू कर दिया है, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में तेजी आ गई है।

एक ओर तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है, दूसरी ओर भारत में पिछले ढाई महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। माना जा रहा है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की वजह से ही ऑयल मार्केटिंग कंपनियां फिलहाल डीजल और पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी करने से हिचक रही हैं।

जानकारों का कहना है कि आने वाले दिलों में भी अगर दुनिया भर में रूस और यूक्रेन के बीच जारी भू-राजनीतिक तनाव बना रहा, तो कच्चे तेल की कीमत में आगे भी बढ़ोतरी हो सकती है। बताया जा रहा है कि कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी के कारण घरेलू ऑयल मार्केटिंग कंपनियां काफी दबाव में है। नुकसान से बचने के लिए इन कंपनियों के लिए डीजल और पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 5 रुपए तक की बढ़ोतरी करना जरूरी हो गया है।

माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की वजह से भले ही ये कंपनियां अभी पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी न करें, लेकिन 10 मार्च को चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद एक बार फिर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी का सिलसिला तेज हो सकता है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे हुए कच्चे तेल की वजह से हो रहे संचित घाटे की भरपाई के लिए एक बार फिर पहले की तरह छोटे-छोटे टुकड़ों में पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा कर सकती हैं।

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