नई दिल्ली, 23 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देश की संस्कृति और आजादी के नायकों के योगदान को भुलाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुये पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लाखों भारतीयों ने स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया लेकिन उनके योगदान को भुला दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के दशकों बाद देश आज उन गलतियों को सुधार रहा है। बिरसा मुंडा की जयंती, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, अंबेडकर सर्किट, जनजातीय गौरव दिवस ऐसे ही कुछ कदम हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर इंडिया गेट पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कहा कि नेताजी ने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार को स्थापित किया था। उनकी प्रतिमा लोकतांत्रिक संस्थाओं, वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाएगी और उन्हें प्रेरित करेगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि जल्द ही होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा लगाई जाएगी।
प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन को लेकर पिछली सरकारों के लचर रवैये पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्षों तक आपदा का विषय कृषि मंत्रालय के पास था। इसका मूल कारण था कि बाढ़, अतिवृष्टि, ओले गिरना, इनसे बनी स्थितियों से निपटने का जिम्मा कृषि मंत्रालय के पास था। लेकिन 2001 में गुजरात में भूकंप आने के बाद हमने तमाम विभागों और मंत्रालयों को राहत और बचाव के काम में झोंक दिया। उनसे सीखते हुए ही 2003 में गुजरात राज्य ने आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया गया।
उन्होंने आगे कहा कि आपदा से निपटने के लिए गुजरात इस तरह का कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना। बाद में केंद्र सरकार ने गुजरात के कानून से सबक लेते हुए, 2005 में पूरे देश के लिए ऐसा ही आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम ने कोविड-19 महामारी से लड़ने में भी मदद की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी कोई आपदा आती है, तो जान-माल के नुकसान और बुनियादी ढांचे पर चर्चा होती है। आपदाओं का सामना कर सकने वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमने राहत, बचाव और पुनर्वास पर जोर देने के साथ ही सुधार पर भी बल दिया है। हमने एनडीआरएफ को मजबूत कर उसका आधुनिकीकरण किया और देश भर में उसका विस्तार किया गया। स्पेस टेक्नालजी से लेकर प्लानिंग और मैनेजमेंट तक सर्वोत्तम संभव अभ्यास को अपनाया गया।
उन्होंने कहा कि एनडीएमए की ‘आपदा मित्र’ जैसी स्कीम्स से युवा आगे आ रहे हैं। कहीं कोई आपदा आती है तो लोग पीड़ित नहीं रहते, वो कार्यकर्ता (वॉलंटियर्स) बनकर आपदा का मुकाबला करते हैं। यानी आपदा प्रबंधन अब एक सरकारी काम भर नहीं है, बल्कि ये ‘सबका प्रयास’ का एक मॉडल बन गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच में, सेनाओं के बीच में हमने संयुक्त सैन्य अभ्यास बहुत देखे हैं लेकिन भारत ने पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए संयुक्त ड्रिल की परंपरा शुरू की है। 2017 में, हमने दक्षिण एशिया भूस्थिर संचार उपग्रह लॉन्च किया। हमारे पड़ोसी देश भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष बोस जो कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं पाती थी। उन्होंने नेताजी सुभाष की ‘कर सकते हैं, करेंगे’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने नेताजी के कथन, “कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके।” का उल्लेख करते हुये कहा कि आज हमारे सामने आजाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है। हमारे सामने आज़ादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा। ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया। स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं। लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास के दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि जिस कार से नेताजी कोलकाता से निकले थे, जिस कमरे में बैठकर वो पढ़ते थे, उनके घर की सीढ़ियां, उनके घर की दीवारें, उनके दर्शन करना, वो अनुभव, शब्दों से परे है।
प्रधानमंत्री ने 21 अक्टूबर 2018 के दिन को भी अविस्मरणीय बताया जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे होने पर लाल किले में विशेष समारोह में उन्हें आजाद हिंद फौज की टोपी पहनकर तिरंगा फहराया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। इस होलोग्राम प्रतिमा को 30 हजार लुमेन 4के प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। एक अदृश्य, हाई गेन, 90 प्रतिशत पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है कि यह आगंतुकों को नजर नहीं आ रही है। होलोग्राम का सटीक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उस पर नेताजी की थ्रीडी तस्वीर लगाई जाएगी। होलोग्राम प्रतिमा 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है।
इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ भी अलंकरण समारोह में प्रदान किये। समारोह के दौरान कुल मिलाकर सात पुरस्कार प्रदान किए। वर्ष 2022 के लिए गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (संस्थान श्रेणी) और प्रोफेसर विनोद शर्मा (व्यक्तिगत श्रेणी) को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के लिए चुना गया है।