नई दिल्ली, 22 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने बुलीबाई ऐप मामले के एक आरोपित विशाल झा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने ये आदेश दिया। हालांकि अभी फैसला कोर्ट के आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है।
आज सुबह सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से वकील नीतेश राणे ने कोर्ट से कहा था कि उन्होंने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। 21 जनवरी को कोर्ट ने विशाल झा की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि एक ही तथ्य के आधार पर दो स्थानों पर एफआईआर कैसे दर्ज की जा सकती है।
विशाल का पूरा नाम विशाल सुधीर कुमार झा है। सुनवाई के दौरान विशाल की ओर से वकील शिवम देशमुख ने कहा था कि आरोपित बिहार का रहने वाला है और वो कर्नाटक में एक हॉस्टल में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता है। इस मामले में एक महिला पत्रकार ने 1 जनवरी को शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी फोटो से छेड़छाड़ कर बुली बाई ऐप पर अपलोड किया गया ताकि उसे बदनाम किया जा सके। देशमुख ने कहा था कि आरोपित को झूठे तरीके से फंसाया गया है और ऐप को विकसित करने में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
देशमुख ने कहा था कि विशाल झा ने 4 जनवरी को खुद ही मुंबई के साइबर क्राइम के दफ्तर में जाकर सरेंडर कर दिया था। 10 जनवरी को उसे कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई, जिसके बाद से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उसके सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप और दो सिम कार्ड जांच एजेंसी के कब्जे में है। उन्होंने कहा था कि विशाल झा को ऐसी आशंका है कि उसे दिल्ली में दर्ज एफआईआर में भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील इरफान अहमद ने कहा था कि इस मामले के एक आरोपित नीरज बिश्नोई और दूसरे आरोपित एक ग्रुप के साथ जुड़े हुए थे। उसी ग्रुप में चर्चा के बाद गिटहब पर एक ऐप को विकसित किया गया। उन्होंने कहा था कि आरोपित विशाल झा ने ट्विटर पर अपना फर्जी अकाउंट बनाया था और उसके जरिये बातचीत में हिस्सा लेता था। उन्होंने कहा था कि मुंबई पुलिस ने विशाल झा को दूसरे सह-आरोपितों मयंक रावत और श्वेता सिंह के साथ गिरफ्तार किया है। मुंबई पुलिस से इस केस से संबंधित दस्तावेजों और साक्ष्यों की मांग की है।
कोर्ट ने पाया कि जांच अधिकारी के जवाब से साफ है कि समान तथ्यों के आधार पर मुंबई में केस दर्ज किया गया है। केवल शिकायतकर्ता अलग-अलग हैं। कोर्ट ने कहा कि अर्णब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला साफ कहता है कि एक ही तथ्य के आधार पर दो एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती हैं। ऐसे में कोर्ट को ये फैसला करना है कि मुंबई में दर्ज एफआईआर या दिल्ली में दर्ज एफआईआर में से किस पर कानून के मुताबिक जांच होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 14 जनवरी को इस मामले के आरोपित नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में असम से नीरज विश्नोई को गिरफ्तार किया है। बुलीबाई ऐप के जरिए मुस्लिम पत्रकारों, वकीलों और समाज में अच्छी पहचान रखने वाली महिलाओं की फर्जी तस्वीरें शेयर कर इंटरनेट पर उनकी नीलामी की जा रही थी।