पटना, 21 जनवरी (हि.स.)। बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में नूरा-कुश्ती का दौर चल रहा है। जदयू 24 सीटों के चुनाव को लेकर लोकसभा चुनाव का फार्मूला दे रही है यानी 10-10-2-2 का। जदयू के फॉर्मूले के मुताबिक 10 सीट जदयू,10 सीट भाजपा, दो हम और दो वीआईपी को दी जाए, जबकि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व चाहता है कि यह फार्मूला बिहार विधान सभा के फार्मूले पर तय हो।
भाजपा के मुताबिक यदि बंटवारा हो तो आधे-आधे पर बंटवारा हो। जदयू अपने हिस्से में से मांझी को सीट दे और भाजपा मुकेश सहनी को सीट देने पर फैसला करेगी। भाजपा पूरी तरह से तय कर चुकी है कि वह अपने घटक दलों को सीट नहीं देना चाहती है। वह वीआईपी और हम को इस बिहार विधान परिषद में से एक भी सीट नहीं देना चाहती है। इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद नई दिल्ली में बैठक की। साथ ही इन दोनों नेताओं में मीडिया से बात में यह भी स्पष्ट कर दिया कि हम 13 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
इस मसले पर उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष बिहार भाजपा के नेताओं ने अपनी पूरी बात रख दी है।निर्णय केंद्रीय नेतृत्व को लेना है। राजग में सबकुछ ठीक चल रहा है। कहीं कोई विवाद नहीं है। जहां तक विधानपरिषद की सीटों के बंटवारे का सवाल है तो इस पर बहुत जल्द फैसला हो जायेगा। कौन कहां से लड़ेंगे सब कुछ जल्द ही साफ हो जायेगा। बोचहां विस उप चुनाव में हमसब मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
बिहार विधान परिषद के स्थानीय निकाय के तरफ से खाली 24 सीटों हम और वीआईपी की भी नजर है। हम के जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी के लिए दो सीट की मांग की है। लेकिन अभी तक राजग के तरफ से कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जदयू की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा ने लोकसभा फार्मूले से सीट बंटवारे की मांग की थी लेकिन भाजपा के नेता इस फार्मूले पर कतई तैयार नहीं हैं।
वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी की विधान परिषद में मियाद इस साल के 21 जुलाई तक खत्म हो रही है। भारतीय जनता पार्टी के कोटे से विधान पार्षद बने मुकेश सहनी अभी भाजपा के रहमो करम पर हैं। इस लिहाज से वीआईपी के कर्ताधर्ता तो हो सकते हैं लेकिन वीआईपी पार्टी में कोई पद ग्रहण नहीं कर सकते है। ऐसे में भाजपा वेट एंड वॉच में है कि यदि मुकेश सहनी ने उत्तर प्रदेश में भाजपा का खेल बिगाड़ा तो भाजपा उनका बिहार में खेल बिगाड़ देगी।
उल्लेखनीय है कि बीते बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में भाजपा ने अपने कोटे से 11 सीट मुकेश सहनी को चुनाव लड़ने के लिए दिया था। जिसमें अधिकतर भाजपा के उम्मीदवार थे। मुकेश सहनी भी चुनाव लड़े। लेकिन, वह हार गए। उनकी पार्टी ने 4 सीट पर चुनाव जीता। 4 सीटों में से 3 सीट पर भाजपा के पूर्व नेता विधायक बने हैं। भाजपा उन पर भी अपना हक जताती रही है। ऐसे में मुकेश सहनी अपनी गतिविधियां बंद नही की तो भाजपा यूपी चुनाव के बाद मिशन मुकेश सहनी पर लग जाएगी। इस साल की 21 जुलाई को मुकेश सहनी समेत सात एमएलसी की विधान परिषद सदस्यता खत्म हो रही है। यह सभी विधानसभा कोटे से चुने गए हैं। जिसमें मुकेश सहनी, मोहम्मद कमरे आलम, गुलाम रसूल बलियावी, रणविजय कुमार सिंह, सीपी सिन्हा, रोजिना नाजिश, और अर्जुन साहनी शामिल हैं।
एक विधान परिषद सीट के लिए 31 विधायकों के मत की जरूरत
खाली पड़ी इन सात सीटों के लिए 31 विधायकों के मत की जरूरत पड़ेगी। बिहार विधानसभा में पार्टी की मौजूदा स्थिति के अनुसार राजग के 127 विधायक हैं, इस मुताबिक चार सीटों पर राजग का कब्जा आसानी से हो सकता है। तीन सीटों पर विपक्ष का कब्जा होगा। ऐसे में भाजपा यह तय करेगी कि मुकेश सहनी के लिए वह अपने 31 विधायक का वोट खर्च करेगी या फिर किसी और को उनकी जगह पर विधान परिषद भेजती है।