पणजी, 13 जनवरी (हि.स.)। केन्द्र शासित प्रदेश गोवा की राजनीति हमेशा से अकलन के परे रही है। यहां हमेशा से निर्दलीय विधायकों की भूमिका रही है और इस बार भी ऐसा ही कुछ दिख रहा है। बीते 5 वर्षों में गोवा के 70 फीसदी विधायक अपने-अपने दल छोड़ चुके हैं। निर्दलीय विधायक सरकार के गठन में अपनी अहम भूमिका रखते हैं। नतीजतन गोवा चुनावों की भविष्यवाणी करने पर राजनीति पंडित भी मौन साधे रहते हैं।
महज 40 विधानसभा सीटों वाले इस छोटे राज्य की राजनीति में कब कौन सा उलटफेर हो, इस पर कुछ कहना लगभग असंभव है। गोवा की राजनीति को नजदीक से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार तथा राजनीतिक विश्लेषक एलटी जोशी ने बताया कि गोवा की राजनीति में निर्दलीय विधायकों ने भी अहम भूमिका निभाई है। मडगांव से अनंत उर्फ बाबू नायक मागोप के समर्थन से 1989 में निर्दलीय चुने गए थे। यह उनका आखिरी चुनाव था। 1994 में तीन विधायक निर्दलीय चुने गए। सांताक्रूज से विक्टोरिया फर्नांडीस, वेल्ली से मैनुअल फर्नांडीस और मुरगांव से जॉन वाज विधानसभा में नजर आए। साथ ही प्रताप सिंह राणे के बेटे विश्वजीत ने अपना पहला चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ा था क्योंकि यह कांग्रेस पार्टी का नियम था कि एक ही परिवार में दो को नामांकित नहीं किया जाना चाहिए। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और उपचुनाव में जीत दर्ज कराई थी।
जोशी ने बताया कि यहां हमेशा से निर्दलियों की भूमिका अहम होने के कारण गोवा की राजनीति आकलन से परे रही है। बतौर जोशी पिछले 5 वर्षों में राज्य में अब तक 70 फीसदी विधायकों ने अपनी पार्टी बदल ली है। गोवा विधानसभा चुनाव से पहले 11 विधायकों ने अपने-अपने दलों से इस्तीफा दे दिया है और एक अलग मंच पर लड़ने के लिए अन्य राजनीतिक दलों में शामिल हो गए हैं। बतौर जोशी हैरानी की बात यह है कि 40 सदस्यीय सदन में आज सिर्फ 29 विधायक ही बचे हैं। पिछले 5 साल में इस विधानसभा में 27 विधायक दलबदल कर चुके हैं।
कांग्रेस के 10 और एमजीपी के 2 विधायकों का भाजपा में विलय हो गया जबकि एनसीपी के चर्चिल का टीएमसी में विलय हो गया। विश्वजीत राणे, सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे ने भाजपा के चुनाव चिह्न के तहत फिर से चुनाव की मांग करने के लिए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा कार्यकाल के अंत में विधायकों के रूप में इस्तीफा देने वाले 11 में से 4 भाजपा में, 3 कांग्रेस में, 2 टीएमसी में और एक-एक एमजीपी और आप में शामिल हो गए हैं। जोशी ने बताया कि गोवा की राजनीति का भविष्य क्या होगा, इस पर मतगणना के बाद ही कयास लगाना उचित होगा।