सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने हॉट स्प्रिंग से जुड़े मुद्दों का समाधान होने की जताई थी उम्मीद
– भारत-चीन ने कई स्थानों से अपनी-अपनी सेनाएं पीछे हटाईं लेकिन अभी भी गतिरोध कायम
नई दिल्ली, 13 जनवरी (हि.स.)। भारत-चीन के सैन्य कमांडरों के बीच बुधवार को सुबह शुरू हुई 14वें दौर की वार्ता लगभग 13 घंटे तक चली लेकिन पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले इलाके गोगरा-हॉट स्प्रिंग पर कोई सहमति नहीं बन पाई।
बैठक में भारत की तरफ से हॉट स्प्रिंग, डेप्सांग और डेमचोक इलाकों में सैनिकों की पूर्ण वापसी पर जोर दिया गया। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने इस वार्ता के बीच सालाना प्रेस कांफ्रेंस में पीपी-15 यानी हॉट स्प्रिंग से जुड़े मुद्दों का समाधान होने की उम्मीद जताई थी। पूर्वी लद्दाख में पिछले 20 महीनों से जारी तनाव के बीच भारत-चीन ने कई स्थानों से अपनी सेनाएं पीछे हटाई हैं लेकिन कई स्थानों पर गतिरोध कायम है।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 20 महीने से चल रहे तनाव को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता बुधवार को सुबह 10 बजे के करीब चीनी हिस्से में चुशुल-मोल्दो मीटिंग प्वाइंट में शुरू हुई। इस सैन्य वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के नवनियुक्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने और चीनी टीम का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया। वार्ता का मुख्य फोकस हॉट स्प्रिंग्स (पेट्रोलिंग प्वाइंट 15) में विस्थापन प्रक्रिया को आगे बढ़ाना था। भारत ने बुधवार को चीन के साथ 14वें दौर की सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख में विवादित जगहों से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने के लिए दबाव डाला।
बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष ने कोंगका ला के पास गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में डेप्सांग और डेमचोक सेक्टर के चारडिंग नाला जंक्शन में गश्त करने के मुद्दों पर चर्चा की लेकिन चीनी सेना को मनाने में विफल रहा। हालांकि, दोनों पड़ोसी देश इस बात पर सहमत हुए कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी गतिरोध को लेकर आगे भी चर्चा जारी रखेंगे। बुधवार को हुई वार्ता के बारे में अभी साझा बयान जारी नहीं हुआ है लेकिन गुरुवार को दोनों देश अधिकृत बयान जारी कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच वार्ता का अगला दौर जल्दी होगा। कुल मिलाकर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई 14वें दौर की वार्ता भी बिना किसी सकारात्मक नतीजे के खत्म हो गई लेकिन कहा गया कि दोनों देश स्वीकार्य समाधान के प्रयास प्रगति पर हैं।
दोनों देशों के बीच यह वार्ता ऐसे समय हुई जब पूर्वी लद्दाख में पैन्गोंग झील के पास चीन की ओर से पुल बनाने की ख़बरें आईं, जिस पर भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि यह इलाका पिछले 60 वर्षों से चीन के अवैध कब्जे में है, जिसे भारत स्वीकार नहीं करता है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 15 इलाकों का चीनी नामकरण किया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। भारत ने कहा था कि नाम बदलने से तथ्य नहीं बदलते, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य समझौतों के बाद फरवरी, 2021 में पैन्गोंग झील के दोनों किनारों पर विस्थापन होने के बाद से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के अन्य विवादित क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की संख्या में कमी नहीं आई है।
दोनों देशों के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता तीन माह पूर्व 10 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें हॉट स्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15, गोगरा क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट 17, डेमचोक और डेप्सांग के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। पिछले दौर की वार्ता में कोई सहमति न बनने के लिए दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया था। भारतीय सेना का कहना था कि चीन के सामने एलएसी के विवादित क्षेत्रों का समाधान करने के लिए ‘रचनात्मक सुझाव’ दिए जबकि चीनी सेना ने एक बयान में कहा कि भारत ने ‘अनुचित और अवास्तविक’ मांगें रखीं लेकिन अपनी तरफ से भी कोई प्रस्ताव नहीं दे सका। इसके बाद भारत और चीन 18 नवंबर को वर्चुअल कूटनीतिक वार्ता में 14वें दौर की सैन्य वार्ता करने पर राजी हुए थे ताकि पूर्वी लद्दाख में बाकी के टकराव वाले स्थानों पर पूरी तरह से सेना को हटाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।