अमित शाह, लक्ष्मीकांत बाजपेयी, स्वतंत्रदेव, सुनील बंसल, शिवप्रताप शुक्ला, अनूप गुप्ता जैसे चेहरे शामिल
लखनऊ,02 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनैतिक दलों की जोरआजमाइश शुरू हो गयी है। सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोई भी चूक इस चुनाव में नहीं करना चाहती। उसे पता है कि पूरी पार्टी एकजुट होकर लड़ेगी, तब ही सफलता मिल पाएगी। यही वजह है कि भाजपा ने अपनी उस टीम को सक्रीय कर दिया है जिसने 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासि जीत दलायी थी। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल, प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता, सांसद शिव प्रताप शुक्ला सरीखे चेहरे उस चुनाव में बेहद सक्रीयता से काम किये थे।
पार्टी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। उसी के साथ ही उनके करीबी भाजपा के राष्ट्रीय महा सचिव अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। अमित शाह ने पूरे प्रदेश का भ्रमण किया। हर सीट पर बैठकी की। सीटवार जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही विपक्षी दलों का नब्ज टटोला। शाह ने तत्कालीन संगठन के पदाधिकारियों के साथ पूर्व दायित्यधारियों के साथ भी बैठकें की। उन्हें किसी न किसी अभियान से जोड़ा। पुराने कार्यकर्ताओं, नेताओं को यह एहसास कराया कि यह पार्टी उनकी है। धीरे-धीरे करके कार्यकर्ता, समर्थक और संगठन एक सुर में बोलने लगे। भाजपा में इससे पहले राम मंदिर आंदोलन के दौरान ही इस प्रकार का माहौल देखने को मिला था। मौजूदा समय वह शाह केन्द्रीय गृह मंत्री हैं। इसके साथ ही उप्र के चुनाव पर वह अपनी सीधी नजर रख रहे हैं। उनपर पश्चिम उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी भी है।
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण नाम भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी का है। उन्होंने काम करने के मामले में अपने पुराने कई अध्यक्षों को पीछे छोड़ दिया था। उस वक्त प्रदेश की सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी के लोग डॉ. बाजपेयी का नाम लेने को मजबूर थे। डॉ. बाजपेयी की कार्यशैली ने सत्ताधारियों को परेशान कर दिया था। प्रदेश की किसी भी आपराधिक घटनाओं का विरोध करने के लिए वह मौके पर पहुंच जाते थे। इसके लिए उन्हें चाहे अपने रूप बदलने पड़े हों। पुलिस को चकमा देकर कई बार वह घटना स्थल पर पहुंचे जिससे तत्कालीन सरकार में आला अधिकारियों को फटकार भी लगी। उप्र लोक सेवा आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार को जोरदार तरीके से उठाया। इससे प्रदेश के युवाओं में भाजपा को लेकर भाव बदले। मौजूद समय में पार्टी ने उन्हें ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय कहते हैं कि डॉ. बाजपेयी की कार्यशैली सपा से निपटने में सक्षम है। 2014 में सपा को उसके ही दांव से चित कर दिया। अब ज्वाइनिंग कमेटी के अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा में आने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। सपा के दिग्गजों में शामिल शतरुद्र प्रकाश और अंजना प्रकाश जैसे चेहरे भाजपा में शामिल होना इसका प्रमाण है।
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह 2014 के चुनाव में भाजपा के प्रदेश महामंत्री थे। वह सांगठनिक कार्यों में मुख्य भूमिका अदा कर रहे थे। मौजूदा भाजपा के प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता उस टीम में प्रदेश मंत्री की भूमिका में थे। तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कोर टीम के हिस्सा में रहे अनूप गुप्ता इस वक्त गोरखपुर क्षेत्र के प्रभारी भी हैं। संगठन की अच्छी जानकारी इनके पास है। विद्यार्थी परिषद से लेकर भाजपा के सांगठनिक कार्यों का उन्हें लम्बा अनुभव है।
इसके साथ ही तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ला को भी इस चुनाव में सक्रीय किया गया है। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में ज्वाइनिंग कमेटी के चेयरमैन भी थे। उप्र भाजपा के चुनाव प्रभारी व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की पहल पर प्रदेश के ब्राह्मणों तक संगठन की रीति नीति और मोदी-योगी सरकार के कामकाज को पहुंचाने के लिए गठित कमेटी के वह चेयरमैन बनाए गए हैं। शिवप्रताप शुक्ला की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय कमेटी प्रदेश के ब्राह्मण समाज व अपने कोर वोटरों को साथ बांधे रखने का कार्य करेगी। राज्यसभा सांसद शुक्ला पार्टी की जनविश्वास यात्रा में भी शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा कई नाम ऐसे हैं जो 2014 के लोकसभा चुनाव में पर्दे के पीछे रहकर काम किये थे, आज भी वह संगठन में महती भूमिका अदा कर रहे हैं। पार्टी को उस चुनाव में 80 में से 73 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा ने इस बार भी 300 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य रखा है।