12 वर्ष बाद हल्द्वानी आकर प्रदेश को देंगे करीब साढ़े 17 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का तोहफा
नैनीताल, 29 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्ष 2009 में 6 मई को लोकसभा चुनाव के समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहते तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार बची सिंह रावत के चुनाव प्रचार के लिए नैनीताल आए थे। नैनीताल में उस दौर की जनसभाओं के लिहाज से पहली बार भारी भीड़ उमड़ी। लोग भाजपा के तत्कालीन ‘पीएम इन वेटिंग’ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लाल कृष्ण आडवाणी की जगह मोदी के मुखौटे चेहरों पर लगा कर रैली में आए थे। इससे साफ है कि नैनीतालवासी तभी से मोदी को भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे थे। अब मोदी करीब 12 वर्ष के बाद 30 दिसंबर को नैनीताल जनपद के हल्द्वानी आ रहे हैं। वह प्रदेश को करीब साढ़े 17 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का तोहफा प्रदान करेंगे।
6 मई, 2009 को नगर के ऐतिहासिक फ्लैट्स मैदान में मोदी की जनसभा हुई थी। इसके लिए भाजपा के नेताओं ने कई दिनों तक नैनीताल क्लब में बैठकें कर तैयारी की थी। तब आज के दौर की चुनावी जनसभाओं जैसे प्रबंध नहीं किए गए थे, परंतु मोदी की सुरक्षा के लिए जो ‘डी घेरा’ बना था, उसे नैनीतालवासियों ने पहली बार देखा था। छायाकारों ने पहली बार काफी दूरी से मोदी की तस्वीरें ली थीं। मोदी ने इकलौते माइक से जनसभा को संबोधित किया था। उनके पीछे लगे इकलौते होर्डिंग में लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी व तत्कालीन लोकसभा उम्मीदवार बची सिंह रावत की फोटो लगी थी। मंच पर बची सिंह रावत, बलराज पासी, मनोहर कांत ध्यानी, शांति मेहरा, गोपाल रावत, दिनेश आर्य व मनोज साह आदि मौजूद थे।
मोदी के भाषण में गुजरात का विकास पूरी तरह से छाया हुआ था। अपनी रौ में मोदी ने यहां जो कहा, उसमें विकास का मतलब ‘गुजरात’ हो गया था और यूपीए सरकार के साथ ही एनडीए काल की ‘दिल्ली’ भी मानो कहीं गुम हो गई थी। उन्होंने यहां राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार आडवाणी का नाम केवल एक बार उनके (आडवाणी के द्वारा) तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को कमजोर कहने के संदर्भ के अलावा कहीं नहीं लिया था।
आम चुनाव होने के बावजूद मोदी यहां अपने भाषण में पूरी तरह गुजरात केंद्रित हो गऐ थे। उनकी आवाज में यह कहते हुए गर्व का भाव था कि कभी व्यापारियों का राज्य माना जाने वाला गुजरात उनकी विकासपरक सरकार आने के बाद से न केवल औद्योगिक क्षेत्र में वरन एक अमेरिकी शोध अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार खारे पानी के समुद्र और रेगिस्तान से घिरा गुजरात कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए भी देश में प्रथम स्थान पर आ गया है। उन्होंने कहा था कि गरीबों के हितों के लिए चलाए जाने वाले 20 सूत्री कार्यक्रमों में गुजरात नंबर एक पर रहा है, साथ ही सूची में प्रथम पांच स्थानों पर भाजपा शासित और प्रथम 10 स्थानों पर एनडीए शासित राज्य ही हैं, जबकि एक भी कांग्रेस शासित राज्य इस सूची में नहीं है।
इन आंकड़ों के जरिए उन्होंने पूछा था कि ऐसे में कैसे ‘कांग्रेस का हाथ गरीबों व आम आदमी के साथ’ हो सकता है। मोदी ने गुजरात की कांग्रेस शासित राज्य असम से भी तुलना की थी। उन्होंने कहा था कि दोनों राज्य समान प्रकृति के पड़ोसियों बांग्लादेश और पाकिस्तान से सटे हैं। असम के मुसलमान परेशान हैं कि वहां भारी संख्या में हो रही बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ से उन्हें काम और पहले जैसी मजदूरी नहीं मिल रही। यूपीए नेता घुसपैठियों को वोट की राजनीति के चलते नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी गुजरात में घुसने की हिम्मत करना तो दूर उनसे (मोदी से) डरे बैठे हैं। इस दौरान मोदी ने पूर्व की एनडीए सरकार की भी कोई उपलब्धि नहीं बताई, अलबत्ता उत्तराखंड की तत्कालीन खंडूड़ी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की तारीफ अवश्य की थी। मोदी ने कहा था कि विकास ही देश को बचा सकता है। उस दौर में अपनी फायरब्रांड और कट्टर हिंदूवादी नेता की पहचान वाले मोदी नैनीताल में अपनी छवि के अनुरूप एक शब्द भी नहीं बोले, जिससे सुनने वालों में थोड़ी बेचौनी भी देखी गई थी।
इसके अलावा मोदी शब्दों को अलग विस्तार देने व अलग अर्थ निकालने की कला भी नैनीताल में दिखा गए थे। उन्होंने यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स अलायंस’ ठहराते हुए कहा था कि शरद पवार, लालू यादव, पासवान सहित यूपीए के सभी घटक दलों के नेता प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के बजाय स्वयं को भावी प्रधानमंत्री बता रहे हैं। उन्होंने गांधी परिवार के लिए ‘एसआरपी’ (सोनिया, राहुल व प्रियंका) शब्द का प्रयोग करते हुए पूछा, क्या एसआरपी ही देश का अगला प्रधानमंत्री तय करेंगे।