सेक्यूलरिज्म के सूरमाओं ने दारा शिकोह को नहीं दिया न्यायोचित स्थान और पहचानः नकवी

नई दिल्ली, 28 दिसंबर(हि.स.)। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को कहा कि दारा शिकोह की विरासत को दकियानूसी सियासत ने भुलाने-भरमाने की साजिश की है। सेक्यूलरिज्म के नाम पर दारा शिकोह को भी न्यायोचित स्थान और पहचान नहीं दी, उनके कार्यों को महत्व नहीं दिया।

यहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी द्वारा दारा शिकोह पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “व्हाई दारा शिकोह मैटर्स टुडे: रिमेंबरिंग हिज वर्क्स एंड पर्सनालिटी” को संबोधित करते हुए नकवी ने कहा कि सामाजिक सद्भाव, सौहार्द, सहिष्णुता, सर्वधर्म समभाव भारत की आत्मा है और “एकता में अनेकता” भारत की ताकत है। दारा शिकोह समस्त जीवन इसी संस्कृति, संस्कार के सार्थक सन्देश वाहक रहे।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां सभी धर्मों, सम्प्रदायों के मानने वाले करोड़ों लोग शांति, सौहार्द, सहिष्णुता के साथ रह कर एक मिसाल पेश करते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में जहां सभी पंथों, सम्प्रदायों को मानने वाले रहते हैं, वहीं भारत में किसी भी मजहब को ना मानने वाले लोग भी रहते हैं। यही “अनेकता में एकता” की ताकत भारत को “एक भारत श्रेष्ठ भारत” बनाती है। भारत में आस्तिक और नास्तिक, दोनों को समान संवैधानिक एवं सामाजिक अधिकार और सुरक्षा है।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां सब धर्मों के त्यौहार-पर्व मिल-जुल कर मनाये जाते हैं। हमें इस साझा विरासत और ताकत को मजबूत रखना है। सहिष्णुता हमारा संस्कार एवं सह-अस्तित्व हमारी संस्कृति है। इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ भारत की आत्मा पर चोट होगी।

नकवी ने कहा कि भारत जहां दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक-धार्मिक ज्ञान का केंद्र है, वहीं “सर्व धर्म समभाव” एवं “वसुधैव कुटुंबकम” की प्रेरणा का स्रोत भी है। सह-अस्तित्व के संस्कार और सहिष्णुता की संस्कृति, संकल्प को किसी भी परिस्थिति या हालत में कमजोर नहीं होने देना है। यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।

नकवी ने कहा कि तमाम साजिशों के बावजूद हमारी संस्कृति-संस्कार-संविधान ने “अनेकता में एकता” की डोर को कमजोर नहीं होने दिया। समावेशी विकास के रास्ते में बाधाएं आई भी तो हमारी इसी ताकत ने देश को रुकने नहीं दिया।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा कि तथाकथित सेक्युलरिज़्म के सूरमाओं की सरकारों ने कई अन्य महान लोगों की तरह ही दारा शिकोह को भी न्यायोचित स्थान और पहचान नहीं दी, उनके कार्यों को महत्व नहीं दिया। दारा शिकोह का व्यक्तित्व बहुत बहुमुखी था। वह एक बहुत ही जिंदादिल इंसान, एक विचारक, महान शायर, विद्वान, सूफी और कला की गहरी समझ रखने वाली शख्सियत थे।

इस अवसर पर आरएसएस के संयुक्त महासचिव डॉ. कृष्ण गोपाल (मुख्य संबोधन), अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाईस-चांसलर प्रोफेसर तारिक़ मंसूर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की वाईस-चांसलर प्रोफेसर नजमा अख्तर, मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वाईस-चांसलर प्रोफेसर ऐनुल हसन, ईरान के कल्चरल कौंसलर डॉ. मोहम्मद अली रब्बानी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

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