आत्मनिर्भरता से भारत देश अपने लक्ष्य को करेगा पूरा
कानपुर, 28 दिसम्बर (हि.स.)। यदि हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो हमारा देश अपने लक्ष्य कैसे पूरे करेगा। अपनी भाग्य तक कैसे पहुंचेगा? मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही होगी लेकिन मैं चाहता हूं कि आप भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर बनें। आत्मनिर्भर भारत, पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप ही है, जहां हम किसी पर भी निर्भर नहीं रहेंगे। यह बातें मंगलवार को कानपुर आईआईटी के 54वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कही।
उन्होंने कहा कि आजादी के इस 75वें साल में हमारे पास 75 से अधिक यूनिक्रॉन्स हैं, 50,000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं। इनमें से 10,000 तो केवल पिछले 6 महीनों में आए हैं। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनकर उभरा है. कितने स्टार्टअप्स तो हमारी आईआईटी के युवाओं ने ही शुरू किए हैं. कौन भारतीय नहीं चाहेगा कि भारत की कंपनियां ग्लोबल बनें। भारत के प्रोडक्ट ग्लोबल बनें। जो आईआईटी को जानता है, यहां के टैलेंट को जानता है, यहां के प्रोफेसर्स की मेहनत को जानता है, वह यह विश्वास करता है कि यह आईआईटी के नौजवान जरूर करेंगे। आज से शुरू हुई यात्रा में आपको सहूलियत के लिए शॉर्टकट भी बहुत लोग बताएंगे, लेकिन मेरी सलाह यही होगी कि आप आराम मत चुनना, चैलेंज जरूर चुनना। क्योंकि, आप चाहें या न चाहें, जीवन में चुनौतियां आनी ही हैं जो लोग उनसे भागते हैं वो उनका शिकार बन जाते हैं ।
आजादी के इतिहास से कानपुर को जोड़ा
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के दीक्षांत समोराह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां के छात्रों को जहां आत्मनिर्भरता का मंत्र दिया, वहीं मानवीय संवेदनाओं के प्रति संवेदनशील होने की भी अपील की। आजादी के इतिहास से कानपुर को जोड़ा तो केरला कैफे और कैंपस की जगहों का जिक्र कर उनके बीच छात्र जीवन की यादों को भी उकेरा। इन सबके बीच तकनीक की महत्ता को बताते हुए पीएम मोदी ने आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार रहने को कहा। दीक्षांत समारोह में आईआईटी निदेशक अभय करींदकर ने स्मृति चिह्न भेंट करके प्रधानमंत्री का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने रिमोट का बटन दबाकर आईआईटी कानपुर के डिजीटिल डिग्री ट्रांसमिशन का शभांरभ किया। इसके बाद उन्होंने भौतिकी वैज्ञानिक प्रो. रोहिणी एम गोडबोले, इंफोसिस के सह संस्थापक सेनापथी क्रिस गोपालकृष्णन और शास्त्रीय गायक पद्मश्री पंडित अजय चक्रवर्ती को मानद उपाधि प्रदान की।
आईआईटियंस पर जताया भरोसा
प्रधानमंत्री ने सभागार में मौजूद डिग्री हासिल करने वाले छात्रों से कहा कि मेरा आप पर भरोसा है। और मैं आज इतनी बातें कह रहा हूं, इतनी चीजें कर रहा हूं तो मुझे उनमें आपका चेहरा नजर आता है। आज देश में एक के बाद एक बदलाव हो रहे हैं। उनके पीछे आपका ही चेहरा नजर आता है। आज जो देश लक्ष्य प्राप्त कर रहा है, उसकी शक्ति आपसे ही मिले। आप ही हैं, जो करेंगे और आपको ही करना है। अनंत संभावनाएं आपके लिए ही हैं, आपको ही साकार करना है। देश जब आजादी के 100 वर्ष मनाएंगा। उस सफलता में आपके पसीने की महक होगी आपके परिश्रम की पहचान होगी। आप भली प्रकार जानते हैं, कि आपका काम आसान करने के लिए किस तरह से काम किया गया।