इस वर्ष भी चोरी की गाड़ियां तलाशने में नाकाम रही दिल्ली पुलिस

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (हि.स.)। राजधानी दिल्ली में प्रत्येक वर्ष वाहन चोरी और झपटमारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वहीं पुलिस द्वारा चोरी की गाड़ी और झपटे गए मोबाइल की बरामदगी के प्रतिशत में कोई खास इजाफा नहीं हो रहा है। यह जानकारी गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की तरफ से लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया गया। उन्होंने बताया है कि चोरी के मामलों में आठ फीसदी कार और 13 फीसदी दुपहिए ही दिल्ली पुलिस बरामद कर पाती है।

औसतन 30 हजार से ज्यादा गाड़ियां प्रत्येक वर्ष चोरी होती है

जानकारी के अनुसार, दिल्ली में औसतन 30 हजार से ज्यादा गाड़ियां प्रत्येक वर्ष चोरी हो जाती है। वहीं छह हजार से ज्यादा झपटमारी की वारदातों को एक साल के भीतर अंजाम दिया जाता है। लोकसभा में यह सवाल पूछा गया था कि ऐसी वारदातों में दिल्ली पुलिस कितनी वारदातों को सुलझा पाती है।

इसके अलावा वाहन चोरी और झपटमारी के मामलों में दिल्ली पुलिस की बरामदगी का क्या प्रतिशत है ? इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की तरफ से लोकसभा में बताया गया है कि चोरी की आठ फीसदी कार और 13 फीसदी बाइक को पुलिस बरामद कर लेती है। वहीं झपटमारी में गए करीब 25 फीसदी मोबाइल को दिल्ली पुलिस बरामद कर पाती है।

दिल्ली छोड़कर बाहर निकल जाते है आरोपित

दिल्ली पुलिस महासंघ के अध्यक्ष पूर्व एसीपी वेद भूषण ने बताया कि चोरी की गाड़ियों और झपटमारी के सामान को बरामद करने में शुरू से ही दिल्ली पुलिस काफी पीछे रही है। उन्होंने बताया कि वाहन चोरी के मामलों में आरोपित कुछ ही समय में दिल्ली छोड़कर बाहर निकल जाते हैं। वह गाड़ियों को मेरठ के आसपास कटवा देते हैं या फिर उत्तर-पूर्वी राज्यों, बिहार और झारखंड में उन्हें फर्जी दस्तावेजों पर बेच देते हैं।

इसकी वजह से उन गाड़ियों को बरामद करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में पीड़ित को भी इंश्योरेंस की तरफ से रुपये मिल जाते हैं, इसलिए वह भी पुलिस पर ज्यादा दबाव नहीं डालता। उन्होंने बताया कि वाहन चोरी के मामले कई बार रंगे हाथ आरोपित के पकड़े जाने पर सुलझते हैं। कई बार मुखबिरों के जरिये ऐसे गैंग पकड़े जाते हैं। पुलिस इस तरह के अपराध करने वाले गैंग पर भी लगातार नजर रखती है, लेकिन इसके बावजूद चोरी की गाड़ियों का बरामद प्रतिशत नहीं बढ़ सका है।

तालमेल के साथ करना होगा काम

उन्होंने बताया कि इसे बढ़ाने के लिए उन राज्यों की पुलिस से तालमेल के साथ काम करना होगा जहां ज्यादा चोरी की गाड़ियां बेची जा रही है। वहां अगर पुलिस गाड़ियों की जांच अभियान चलाये तो निश्चित रूप से बड़ी बरामदगी होगी। वेद भूषण ने बताया कि झपटमारी के मामले में भी दिल्ली पुलिस अपनी तरफ से केस सुलझाने के लिए पूरा प्रयास करती है।

खासतौर से अगर मोबाइल झपटा गया हो तो टेक्निकल सर्विलांस की मदद से उसे बरामद करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन कई बार ऐसे गैंग दिल्ली से बाहर ले जाकर मोबाइल को बेच देते हैं। इसके अलावा मोबाइल को अलग-अलग हिस्सों में बेचने के मामले भी सामने आते हैं। इनकी वजह से झपटे गए मोबाइल की बरामदगी का प्रतिशत महज 20 से 25 फीसदी रहता है। उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली पुलिस की मेहनत से इसमें आने वाले समय में और सुधार आएगा।

वर्ष – मोबाइल झपटमारी – बरामदगी

2014- – 3082 – 925

2015 – 5261 – 1017

2016 – 5121 – 1148

2017 – 4266 – 699

2018 – 3538 – 1344

2019 – 3368 – 1535

2020 – 5622 – 1593

2021 – 6111 – 1613

वर्ष- कार चोरी- बरामदगी- बाइक चोरी- बरामदगी

2014- 6395 -439 – 15993 – 1827

2015- 7451 -273 – 12663 – 988

2016- 8381 – 677 – 28409 – 3566

2017- 7404 -604 – 31204 – 3580

2018- 8547 -552 -34585 – 4031

2019- 9029 -625 -34127 – 4531

2020-7166 -542 -25153 – 3385

2021-6161 -495 -25078 – 3329

(2021 के आंकड़े 30 नवंबर तक)

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