पीली धोती-कुर्ता पहने हाथ में गंगाजल से भरा कलश लिए मोदी पहुंचे बाबा के गर्भगृह
– प्रधानमंत्री मोदी ने संस्कृत में लिया संकल्प, पूरी दुनिया ने देखा अनुष्ठान
वाराणसी, 13 दिसम्बर (हि.स.)। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, लेकिन आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि सोमवार को काशीवासियों के लिए ऐतिहासिक हो गई। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशीपुराधिपति के दरबार में मुख्य यजमान बनकर पवित्र नदियों के जल से उनका अभिषेक किया। इस अद्भुत, अलौकिक एवं अकल्पनीय क्षण को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के शिवभक्तों ने देखा।
मां गंगा में डुबकी लगाने के बाद पीली धोती, पीला कुर्ता पहन हाथ में गंगाजल से भरा कलश लेकर प्रधानमंत्री मोदी जब गंगाधारा से गंगाधर तक पहुंचे तो उनकी भावभंगिमा बिल्कुल एक शिव भक्त के रूप में मुख्य यजमान की तरह झलक रही थी। प्रधानमंत्री ने जब बतौर मुख्य यजमान श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर में नंगे पांव प्रवेश किया, 151 सदस्यों वाले काशी के प्रसिद्ध डमरु दल ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान हर-हर महादेव के जयघोष के बीच शिवअर्चना चलती रही। प्रधानमंत्री अपने इस स्वागत से अभिूभूत भी नजर आये और कॉरिडोर में वह रुक-रुककर आगे बढ़े। एक जगह कुछ देर के लिए रुक भी गये और हर-हर महादेव का स्वयं जयघोष करने लगे।
बाबा के गर्भगृह में पहुंचकर प्रधानमंत्री ने एक सच्चे यजमान की तरह संस्कृत भाषा में अनुष्ठान का विधिवत संकल्प लिया। पूजा अर्चना के बाद उन्होंने परिसर में उपस्थित लोगों के ऊपर पुष्पवर्षा की। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वहां उपस्थित विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के साथ फोटो खिंचवाने से भी नहीं चूके। ऐसा करके उन्होंने एक विशेष संदेश दिया। वर्ष 2019 में प्रयागराज कुम्भ के समापन के अवसर पर भी प्रधानमंत्री ने श्रमिकों को आदर देने के लिए वहां कार्यरत सफाईकर्मियों के पांव पखारे थे। उस समय भी मोदी की यह सहृदयता पूरी दुनिया में चर्चा का प्रमुख विषय बनी थी।
2021-12-13