दिल्ली प्रदूषणः आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने का निर्देश, 10 दिसंबर को अगली सुनवाई

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली-एनसीआर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की सिफारिशों को अमल करें। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली में अस्पतालों के निर्माण की अनुमति दे दी है। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।

आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उसने अपने निर्देशों का पालन सुनिश्चित करवाने के लिए पांच सदस्यीय प्रवर्तन टास्क फोर्स का गठन किया है। इसके लिए 17 उड़न दस्ते भी बनाए गए हैं। टास्क फोर्स को निरोधी विधायी शक्तियों के साथ-साथ सजा देने की भी शक्ति दी गई है। आयोग ने कहा है कि उड़न दस्तों की संख्या 4 दिसंबर तक 40 की जाएगी।

दिल्ली में प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने इस बात पर नाराजगी जताई कि मीडिया में इस तरह की धारणा बन रही है कि सुप्रीम कोर्ट की स्कूल को बंद करने में रुचि है। स्कूल दिल्ली सरकार ने बंद किया। कोर्ट ने कब कहा कि स्कूल बंद कीजिए। कोर्ट ने सरकार से कहा कि यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप देखिए कि ऐसा क्यों हुआ है।

सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने हलफनामा दाखिल किया है। टास्क फोर्स में दो स्वतंत्र सदस्य हैं। इसकी बैठक हर शाम 6 बजे होगी। फ्लाइंग स्क्वाड हर शाम टास्क फोर्स को रिपोर्ट देंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या टास्क फोर्स सिर्फ दिल्ली में काम करेगा। तब मेहता ने कहा कि जी नहीं, पूरे एनसीआर क्षेत्र में टास्क फोर्स और फ्लाइंग स्क्वाड का दायरा होगा। तब कोर्ट ने कहा कि यह काफी अहम है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि मीडिया में कुछ जगह ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे हम विलेन हैं। दिल्ली के बच्चों का स्कूल बंद करवा देना चाहते हैं । दिल्ली के वकील सिंघवी ने कहा कि यही हमारी शिकायत है कि कार्रवाई को गलत रिपोर्ट किया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम राजनीतिक दल नहीं हैं कि प्रेस कांफ्रेंस बुला कर सफाई दे सकें। सिंघवी ने कहा कि हमें 27 अस्पतालों में कोरोना से जुड़ी नई सुविधाओं का विकास करना है। इस निर्माण को रोकना जनहित में नहीं होगा। तब मेहता ने कहा कि मैं इससे सहमत हूँ। इस निर्माण को अनुमति मिलनी चाहिए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से दिए गए जवाब से हम आश्वस्त नहीं हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि जो आप चाहते थे सरकार ने कर दिया है। यूपी के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि यह गन्ना आधारित उद्योग चलाने का समय है। बॉयलर 48 घंटे चालू रखने के बाद काम के लायक होता है। अनुमति मिले, नहीं तो किसानों का नुकसान होगा। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप आयोग के पास जाइए।

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