सेटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा, चीन की गतिविधियां डोकलाम और भूटान में भी बढ़ीं
- यहीं पर 2017 में हुआ था चीन के साथ विवाद, 73 दिनों तक आमने-सामने रही थीं सेनाएं
नई दिल्ली, 19 नवम्बर (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख में बुरी तरह चोट खाने से बौखलाया चीन अब एलएसी के दूसरे इलाकों में अपने पांव फैलाने में जुट गया है। चीन की गतिविधियां अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ डोकलाम और भूटान में भी बढ़ रही हैं। सेटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने एक साल के भीतर भूटान के 100 वर्ग किमी. के इलाके में चार नए गांव बसाए हैं। यह वही जगह है जहां 2017 में चीन के साथ विवाद हुआ था जिसे डोकलाम विवाद के नाम से जाना जाता है। डोकलाम एक ट्राई-जंक्शन है, जहां भारत, चीन और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। इस क्षेत्र को लेकर भारत की चिंता इसलिए है कि चीन एकतरफा ट्राई-जंक्शन बदल रहा है।
डोकलाम में 16 जून, 2017 को चीन ने एक सड़क बनाने की कोशिश की थी लेकिन भारत के सैनिकों ने इसका विरोध किया था। डोकलाम में सड़क निर्माण के विवाद के बाद सितम्बर, 2017 में दोनों देशों ने अपनी सेनाएं पीछे हटाने का निर्णय लिया। इस तरह दोनों देशों की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने रहने के बाद डोकलाम से हटीं। भारतीय सेना के यहां से हटने के बाद चीन ने विवादित स्थल को छोड़कर दूसरे रास्ते से दक्षिण डोकलाम में झाम्फिरी रिज तक सड़क बना ली। इसके साथ ही चीन ने भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए दो पुरानी सड़कों की मरम्मत करने के साथ ही इन इलाकों के आसपास दो निगरानी प्रणाली और हाई फ्रीक्वेंसी के कैमरे भी लगाये हैं। डोकलाम एक विवादित पहाड़ी इलाका है, जिस पर चीन और भूटान दोनों अपना दावा जताते हैं। डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है।
सेटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने यह गांव मई, 2020 से नवंबर, 2021 के बीच बसाए गए हैं। चीन हमेशा से ही भूटान पर दबाव बनाता रहा है कि वह अपनी सीमाओं को लेकर उससे बातचीत करे। इंटेलीजेंस विश्लेषक डेट्रेसफा @detresfa ने सेटेलाइट तस्वीरों को जारी करके सवाल उठाया है कि क्या यह किसी नए समझौते का हिस्सा है या फिर चीन दूसरे देश को अपने क्षेत्रीय दावों को मानने के लिए मजबूर कर रहा है। समय-समय पर रिपोर्ट आती रही हैं कि भारत से 2017 के विवाद के बाद भी चीन डोकलाम में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। चीन ने भले ही चार नए गांवों का निर्माण भूटान की जमीन पर किया है लेकिन यह भारत के लिए चिंता का विषय है। दूसरी तरफ ताजा सेटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने काशगर एयरबेस पर 6 शियान एच-6 बॉम्बर तैनात कर रखे हैं।
भारत और भूटान के हमेशा से मजबूत संबंध हैं और वह उसके सैन्य बलों को प्रशिक्षण भी देता रहा है। चीन और भूटान के बीच आपसी सहमति है कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास कोई निर्माण नहीं करेंगे, इसके बावजूद चीन बाज आने को तैयार नहीं है। भारत के साथ सैन्य कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता के बावजूद इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन एलएसी के पास इस तरह के निर्माण जारी रखेगा। चीन ने एलएसी के पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश की सीमा से 4.5 दूर एक पूरा गांव बसा लिया है। इस गांव में 100 घर हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग की सालाना रिपोर्ट में यह बात कही गई है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (पीआरसी) ने भारत-चीन के बीच विवादित क्षेत्र में 100 घर बना लिए। यह इलाका पीआरसी के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के बीच में है।