दुर्गाकुंड स्थित आदि शक्ति कुष्मांडा के दरबार से निकली प्रतिमा की शोभायात्रा
-काशीपुराधिपति के आंगन में रजत पालकी से प्रवेश करेंगी देवी की दुर्लभ प्रतिमा
वाराणसी,15 नवम्बर (हि.स.)। सौ साल से अधिक समय के बाद आखिरकार सोमवार तड़के कनाडा से देवी अन्नपूर्णा की प्राचीन दुर्लभ प्रतिमा काशी पुराधिपति की नगरी में पहुंच गई। शहर में प्रतिमा पर जगह-जगह पुष्प वर्षा कर डमरू और घंटा घड़ियाल बजाते हुए देवी की आरती उतारी गई। सुबह दुर्गाकुंड स्थित आदि शक्ति कुष्मांडा मंदिर से देवी की प्रतिमा- शोभायात्रा नगर भ्रमण के लिए निकली। पूरी राह लोगों ने माता की प्रतिमा पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। भाजपा के साथ कई सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों ने पूरी रात मां अन्नपूर्णा के भव्य स्वागत के लिए पंडाल एवं मंच व्यवस्था के साथ कीर्तन-भजन भी किया।
शोभायात्रा बांसफाटक स्थित ज्ञानवापी द्वार से रजत पालकी में विराजमान होकर काशी विश्वनाथ दरबार में पहुंचेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रतिमा की वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि विधान से पुनर्स्थापना करेंगे। पुनर्स्थापना काशी विद्वत परिषद के सदस्य और काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक दल सम्पन्न करायेंगे।
इसके पहले रविवार की देर शाम शहर में आये प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मां अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा मंदिर में जाकर दर्शन् पूजन के बाद मंदिर परिसर में प्रतिमा के विश्राम स्थल का निरीक्षण किया।
सौ साल पूर्व चोरी हुई अन्नपूर्णा की प्रतिमा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारत आ सकी है। अभी 11 नवंबर को राजधानी दिल्ली से प्रतिमा वाराणसी के लिए सड़क मार्ग से रवाना की गई। उत्तर प्रदेश के 18 जिलों से होते हुए मां की प्रतिमा निर्धारित समय से लगभग 12 घंटे की देरी से सोमवार की भोर वाराणसी जिले की सीमा पिंडरा पहुंची। पिंडरा से बाबतपुर, गिलट बाजार, सर्किट हाउस, चौकाघाट, तेलियाबाग, रथयात्रा, मंडुवाडीह, लंका होते हुए प्रतिमा दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा मंदिर आई। इसके बाद प्रतिमा के दुर्गाकुंड से गुरुधाम चौराहा, मदनपुरा, गोदौलिया होते हुए श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचने का कार्यक्रम तय था। खास बात यह है कि वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी। बलुआ पत्थर से बनी देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। मां एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए हुए हैं।