हिन्द महासागर को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए सुरक्षित रखना है गश्त का मकसद
- मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री आतंकवाद और डकैती रोकने में मिलेगी मदद
नई दिल्ली, 13 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना के बीच भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती (इंडो-थाई कॉर्पैट) का 32वां संस्करण शुक्रवार से अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पर शुरू हो गया है, जो 14 नवम्बर तक चलेगा। यह अभियान भारत और थाईलैंड के बीच दोस्ती का मजबूत बंधन बनाने के लिए भारतीय नौसेना के प्रयासों में योगदान देगा।
इस कॉर्पैट में भाग ले रहा भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएस कर्मुक स्वदेश निर्मित मिसाइल कार्वेट है जबकि थाइलैंड का जहाज एचटीएमएस टायनचोन खामरोसिन क्लास का एंटी-सबमरीन पेट्रोल क्राफ्ट है। दोनों नौसेनाएं आपसी समुद्री संबंध मजबूत करने और हिन्द महासागर के इस महत्वपूर्ण हिस्से को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए सुरक्षित रखने के उद्देश्य से 2005 से अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) के साथ द्वि-वार्षिक कॉर्पेट कर रही हैं।
इस समन्वित गश्ती अभियान से दोनों नौसेनाओं को अनियमित ढंग से मछली पकड़ने, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री आतंकवाद और समुद्री डकैती जैसी गैरकानूनी गतिविधियां रोकने में मदद मिलती है। यह अभियान दोनों देशों के बीच तस्करी, अवैध अप्रवास की रोकथाम, समुद्र में खोज और बचाव (एसएआर) संचालन के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए तालमेल बढ़ाने में मदद करता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के तहत भारतीय नौसेना क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में हिन्द महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रही है। यह प्रयास द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों, समन्वित गश्ती, संयुक्त ईईजेड निगरानी और मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) कार्यों के माध्यम से किया गया है। भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना के सम्बन्ध आपसी गतिविधियों और बातचीत के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं।