चीन-पाकिस्तान से लगी सीमा पर परिचालन क्षमता बढ़ाने की चर्चा करेंगे वायु सेना कमांडर
- राजनाथ बोले, सभी सशस्त्र बलों को अल्प सूचना पर जवाब देने के लिए तैयार रहने की जरूरत
नई दिल्ली, 10 नवम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पर अस्थिर स्थिति को देखते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को किसी भी आकस्मिकता के लिए अल्प सूचना पर जवाब देने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भविष्य के संघर्षों में भारतीय वायुसेना की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी, इसलिए इसे एआई, बिग डेटा हैंडलिंग और मशीन लर्निंग से मिलने वाली क्षमताओं और अवसरों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
रक्षा मंत्री सिंह मंगलवार को नई दिल्ली के वायुसेना मुख्यालय (वायु भवन) में वायु सेना कमांडरों के द्वितीय द्वि-वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सचिव रक्षा उत्पादन राज कुमार का स्वागत किया। एयर चीफ मार्शल ने वायुसेना कमांडरों को रक्षा मंत्री से मिलवाया। कमांडरों का यह सम्मेलन 12 नवंबर तक चलेगा। सम्मेलन के दौरान कमांडर राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली स्थितियों और परिचालन क्षमता बढ़ाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
सम्मेलन में वायुसेना कमांडर जनशक्ति के प्रभावी उपयोग के लिए प्रशिक्षण को मजबूत करने और मानव संसाधन नीतियों को अनुकूलित करने से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। इस सम्मेलन में भारतीय वायु सेना के शीर्ष अधिकारी तीन दिनों तक एक साथ बैठ कर चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर स्थिति पर चर्चा करेंगे। एलएसी पर चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच वायुसेना के शीर्ष अधिकारी उत्तरी सीमाओं पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेंगे।
कमांडरों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने उच्च स्तर की तैयारियों को बनाए रखने, अल्प सूचना पर प्रतिक्रिया देने की क्षमता और परिचालन, शांतिकाल में व्यावसायिकता के उच्च मानकों को प्रदर्शित करने के लिए भारतीय वायुसेना की सराहना की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से स्वदेशीकरण के क्षेत्र में प्रयास परिणाम दिखा रहे हैं। हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड को 118 एलसीए तेजस एमके 1ए और स्पेन की कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस को 56 ट्रांसपोर्ट सैन्य परिवहन विमान सी-295 के आदेश दिए जा चुके हैं जिससे स्वदेशी एयरोस्पेस क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे।
रक्षा मंत्री ने वायुसेना के कमांडरों को ‘अनिश्चितताओं के बीच निश्चितता सुनिश्चित करना’ विषय पर विचार-मंथन करने के लिए प्रेरित किया ताकि व्यवहार्य समाधान विकसित हो सके। इसके बाद वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने रक्षा मंत्री को भारतीय वायुसेना की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। थियेटर कमांड पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि तीनों सेनाओं में तालमेल बढ़ाना आवश्यक है। विभिन्न विकल्पों की बारीकी से जांच करने के बाद संरचना विकसित की जानी चाहिए और सभी हितधारकों के इनपुट को ध्यान में रखा जाए।
वायु सेना प्रमुख ने सभी कमांडरों को संबोधित करते हुए दुश्मनों को किसी भी दुस्साहस का त्वरित और मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मल्टी-डोमेन क्षमता विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय सेना और नौसेना के साथ संयुक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि भविष्य के संघर्षों में युद्ध शक्ति के समन्वित उपयोग को सक्षम बनाया जा सके। सीएएस ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद उच्च स्तर की तत्परता बनाए रखने के लिए सभी कमांडरों की सराहना की। भू-राजनीतिक परिदृश्य में सशस्त्र बलों के लिए प्रशिक्षण और तेजी से बदलाव के अनुकूल होना जरूरी है।