जयपुर, 30 अक्टूबर । आतंकी घटनाओं या उपद्रव के बाद अफवाह फैलने से रोकने के लिए सरकारें इंटरनेट बंद करने का फैसला लेती रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की तल्ख प्रतिक्रिया के बावजू राज्य की गहलोत सरकार ने इसे प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने का अहम हथियार बना लिया है। हालत यह है कि गुजरे एक महीने में प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान चार बार नेटबंदी से प्रदेश में 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हो चुका है। नेटबंदी के बावजूद प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल के मामले मिलने और नकलचियों के पकड़े जाने से अब गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। भाजपा इस मसले को लेकर गहलोत सरकार को चौतरफा घेर रही है। भाजपा ने नेटबंदी को बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला तेज कर दिया है। प्रदेश से लेकर केन्द्रीय नेता तक, गहलोत सरकार के इस फैसले को फेल्योर बता रहे हैं।
राजस्थान पूरे देश में जम्मू कश्मीर के बाद दूसरा ऐसा राज्य बन गया है, जहां सबसे ज्यादा नेटबंदी हुई है। पिछले 10 वर्षों में 78 बार इंटरनेट बंद होने से जनता के साथ व्यापार जगत में तो नाराजगी है ही, वहीं अब राजनीतिक तौर पर भी आलोचना शुरु हो गई है। कश्मीर में नेटबंदी के मुद्दे पर कोहराम मचाने वाली कांग्रेस खुद के राज्य में हर बार परीक्षा के दौरान नेटबंदी कर रही है। त्योहारी सीजन में सरकार के इस अव्यवारिक फैसले से करीब 800 करोड़ का कारोबार ठप हुआ है। दस साल में 78 बार और इस महीने में 4 बार हुई नेटबंदी ने भाजपा के नेताओं को सरकार को घेरने का मुद्दा दे दिया है।
भाजपा के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ कहते हैं कि पिछले 10 सालों में राजस्थान में 78 बार इंटरनेट रोका गया है। यह जम्मू-कश्मीर के बाद दूसरे नंबर पर है। सरकार को इस संबंध में कोई ठोस हल निकालना चाहिए। नेटबंदी किसी समस्या का हल नहीं है। राठौड़ के बयान के बाद प्रदेशस्तरीय भाजपा नेताओं ने भी सोशल मीडिया पर गहलोत सरकार के खिलाफ नेटबंदी को लेकर मोर्चा खोल रखा है। राजसमंद से सांसद दीया कुमारी कहती हैं कि कांग्रेस सरकार में एग्जाम टाइम पर नेटबंदी करना सही नहीं है। एग्जाम नेशनल सिक्योरिटी का पार्ट नहीं है। बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल कहते हैं कि कांग्रेस अपने राज्य में एक एग्जाम भी नहीं संभाल पा रही है, उसे 100 करोड़ वैक्सीनेशन जुमला लगता है।
कब होती है नेटबंदी
आमतौर पर देश में आतंकी घटनाओं या उपद्रव के बाद अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट को बंद करवाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अति आवश्यक परिस्थितियों में नेटबंदी के आदेश दे रखे हैं, लेकिन हाल के दिनों में राजस्थान में कोई भी छोटी हो या मोटी परीक्षा, नेटबंदी का फैसला ले लिया जाता है। गुजरे एक महीने में 3 बड़ी परीक्षा 26 सितम्बर को रीट 2021, तेईस व 24 अक्टूबर को पटवारी और 27 अक्टूबर को आरएएस की परीक्षा में 4 बार नेट बंद कर दिया गया। इंटरनेट बंद होने से राजस्थान के कारोबार को 800 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
सरकार खुद भूल गई अपना हलफनामा
गहलोत सरकार ने पिछले दिनों जनहित याचिका में इस बात का हलफनामा दिया था कि प्रदेश में नेशनल सिक्योरिटी की स्थिति के बगैर नेट बंद नहीं होगा। साल 2017 के आदेश के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता की सुरक्षा के मामलों में इंटरनेट सस्पेंड किया जा सकता है। प्रतियोगी परीक्षाएं इन दोनों मामलों से नहीं जुड़ी है। लेकिन, पिछले एक महीने में ही अलग-अलग परीक्षा में नकल रोकने के लिए नेट बंद किया गया। प्रदेश में बीते सालों में सीकर में सर्वाधिक 16 बार, राजधानी जयपुर में 14 बार, उदयपुर में 13 बार, भरतपुर में 9 बार, करौली और बीकानेर में 8-8 बार, चित्तौडग़ढ़, टोंक, राजसमंद, सवाई माधोपुर और श्रीगंगानगर में 7-7 बार और प्रदेश के बाकी जिलों में छह या इससे कम बार नेटबंदी हुई है।
देश में कब-कब बंद हुआ इंटरनेट
इंटरनेट बंद करने के मामले में जम्मू-कश्मीर देश का पहला राज्य है। 10 साल में यहां सबसे ज्यादा 315 बार इंटरनेट बंद हुआ, लेकिन वहां की स्थिति राजस्थान से उलट है। वहां हर बार आतंकी गतिविधियों को देखते हुए और सुरक्षा के लिहाज ये फैसला किया गया। उत्तरप्रदेश में 10 साल के दौरान सिर्फ 29 बार, हरियाणा में 17, पश्चिम बंगाल में 13, गुजरात में 10, बिहार और महाराष्ट्र में 11, मध्य प्रदेश और मेघालय में 8, अरुणाचल और मणिपुर में 6-6 बार नेट बंद किया गया है। ओडिशा, पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, असम, नागालैंड, चंडीगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड में एक से तीन दिन इंटरनेट बंद रखा गया है।
इंटरनेट बंदी पर क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट
पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद एहतियात के तौर पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस पर सुनवाई करते हुए 10 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आज के दौर में इंटरनेट लोगों के मौलिक अधिकारों में शामिल हो गया है। ऐसे में बेवजह इंटरनेट बंद नहीं किया जा सकता है। नेट बंद होने के कारण करीब 30 तरह की सेवाएं बाधित होती हैं। इनमें डेबिट-क्रेडिट कार्ड भुगतान सिस्टम, ई वॉलेट ट्रांजेक्शन, मूवी टिकट बुकिंग, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन टैक्सी सर्विस, ऑनलाइन होम डिलीवरी, ऑनलाइन फूड ऑर्डर, पानी-बिजली के बिल जमा, ऑनलाइन शॉपिंग, होटल बुकिंग, फ्लाइट बुकिंग, रेल यात्रा बुकिंग, कार्ड स्वाइप मशीन, ऑनलाइन मॉन्यूमेंट बुकिंग, मनी ट्रांसफर समेत अन्य कई अन्य सेवाएं शामिल हैं।
परीक्षा के अलावा भी हुई है नेटबंदी
सिर्फ परीक्षा में नकल रोकने के लिए ही नेट नहीं बंद किया जाता, उपद्रव-हिंसा या तनाव की स्थिति बनने पर सोशल मीडिया पर चलने वाले भडक़ाऊ संदेश, फर्जी वीडियो, फर्जी फोटो और अफवाह रोकने के लिए सोशल मीडिया पर लगाम कसने के लिए भी नेटबंदी की जाती रही है। प्रदेश में गुर्जर आंदोलन, आनंदपाल प्रकरण से लेकर पद्मावत फिल्म पर बवाल सहित 10 से ज्यादा बड़ी घटनाओं में ही दो महीने तक प्रदेश के किसी न किसी क्षेत्र में इंटरनेट सेवा बंद रही है। आनंदपाल प्रकरण में 24 जून 2017 को एनकाउंटर के बाद अगले दिन से ही नागौर, चूरू, बीकानेर और सीकर जिले में नेटबंदी कर दी गई। ये नेटबंदी करीब 20 जुलाई तक रही। रामगंज उपद्रव में 9 सितंबर 2017 को राजधानी जयपुर के रामगंज इलाके में हुए उपद्रव के बाद 5 दिन तक क्षेत्र में नेट बंद रहा। शुरू के दो दिन तक पूरे शहर का नेट शट डाउन किया गया। राम रहीम प्रकरण में 25 अगस्त 2017 को राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर में नेट बंद किया गया। जैतारण प्रकरण में 2 अप्रैल 2018 को पाली जिले के जैतारण कस्बे में उपजे उपद्रव के बाद कफ्र्यू लगा। एक सप्ताह तक क्षेत्र में नेट बंदी रही।
इसी तरह उदयपुर में अप्रैल 2017 में पाक समर्थित नारे लगाने के वीडियो वायरल होने के बाद हुए माहौल खराब होने की आशंका के चलते नेट बंदी की गई। दो दिन तक जिले का नेट डाउन रहा। अप्रैल 2017 में टोंक में आईएसआईएस समर्थक नारे के बाद नेट बंदी की गई जो दो दिन तक रही। सितंबर 2017 को किसान आंदोलन के दौरान सीकर में पांच दिन नेट बंद रहा। मई 2017 में बांसवाड़ा में हुए उपद्रव और कफ्र्यू के बाद नेट बंद कर दिया गया। एक सप्ताह तक यहां नेट बंद रहा। जोधपुर जिले के सामराऊ में हुई घटना के बाद पांच दिन तक क्षेत्र का नेट बंद कर दिया गया। अप्रैल 2017 को सीकर में रामनवमी जुलूस के दौरान हुए एक विवाद के बाद 3 दिन नेट बंद रहा। साल 2008 से लेकर 2017 तक कई बार ऐसा हुआ जब गुर्जर समाज ने आंदोलन की घोषणा की। इस दौरान भी कई बार ऐसा हुआ जब भडक़ाऊ भाषण, उपद्रव को रोकने के लिए नेट बंद किया गया। दो अप्रैल 2018 को अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के खिलाफ आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विभिन्न संगठनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद में देश भर से व्यापक पैमाने पर हिंसा की खबरें आईं। इस दौरान अफवाहों को रोकने के लिए नेट बंद किया गया।