नई दिल्ली, 05 जून (हि.स.)। हांगकांग में आज से 32 साल पहले 4 जून 1989 को चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने दो लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर लोकतंत्र के प्रदर्शन कर रहे छात्रों और उनके समर्थकों को बुरी तरह से कुचल दिया था। इस खूनी कार्रवाई को तियानमेन स्क्वायर नरसंहार के रूप में याद किया जाता है। तब से हर साल से हांगकांग के विक्टोरिया पार्क में मोमबत्ती की रोशनी में तियानमेन स्क्वायर में अपनी जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
चीन की सरकार के मुताबिक इस घटना में करीब 300 लोगों की जान गई थी, जबकि यूरोप मानता है कि इसमें दस हजार से अधिक लोग मारे गए थे। वहीं चीनी मानते हैं कि इसमें 3 हजार लोगों की मौत हुई थी।
इस साल नरसंहार की 32वीं बरसी से पहले, हांगकांग के अधिकारियों ने घोषणा की है कि 4 जून को किसी भी रैली या सार्वजनिक प्रदर्शन को अनधिकृत सभा माना जाएगा और इसमें भाग लेने वाले को पांच साल तक की जेल हो सकती है।
इस आयोजन समिति के उपाध्यक्ष बैरिस्टर और कार्यकर्ता चाउ हैंग तुंग को इस सप्ताह की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। हांगकांग के अधिकारियों के अनुसार, चाउ को अनधिकृत सभा को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ऐतिहासिक विक्टोरिया पार्क में प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए शुक्रवार को हजारों पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। प्रतिबंध के बाद, चाउ ने लोगों से आग्रह किया कि वे जहां कहीं रहें वहीं से मोमबत्ती जलाकर कार्यक्रम को निजी तौर पर मनाएं।
अधिकांश 4 जून को हजारों प्रदर्शनकारी तियानमेन स्क्वायर के मारे गए प्रदर्शनकारियों और लोकतंत्र के लिए उनके बलिदान के लिए हर साल पूरे हांगकांग भर से जुटते हैं जिसे चीन लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं कर पाया।
इसके बाद से 4 जून को इस चौक पर सरकार सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम करती है जिससे कोई भी प्रदर्शन यहां पर न हो सके, इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए। चीन के पूर्व रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगहे चीन की सरकार की कार्रवाई को सही मानते हैं। उनका कहना था कि ये एक राजनीतिक अस्थिरता थी। चीन पर बार-बार ये भी आरोप लगता रहा है कि वो इस नरसंहार से जुड़े सुबूतों को मिटाता रहा है। 2019 में इस हत्याकांड पर टोरंटो यूनिवर्सिटी ने हांगकांग यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें पता चला था कि इस घटना से जुड़े करीब 3 हजार से अधिक सुबूतों को चीन की सरकार नष्ट कर चुकी है।
1989 में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों ने 30 मई को तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की मूर्ति की स्थापित कर दी थी। 2 जून को हर तरफ मार्शल लॉ लगाया गया और 3 जून को सेना को इस चौक से सभी प्रदर्शनकारियों को किसी भी कीमत पर हटाने का आदेश जारी किया गया था। सेना ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिससे वहां पर भगदड़ मच गई थी। इस घटना के बाद चीन के लोगों का गुस्सा सरकार के खिलाफ भड़क गया था। इन प्रदर्शनों से सरकार बुरी तरह से बौखला गई थी और उसने इनपर काबू पाने के लिए सड़कों पर सेना और टैंक उतार दिए थे। प्रदर्शनकारियों पर सेना, पुलिस बेहद बर्बरता से पेश आई। इस घटना में हजारों लोगों की जान गई।