अलापन बनर्जी ममता के लिए रहे हैं संकटमोचक

कोलकाता, 01 जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के निवर्तमान मुख्य सचिव अलापन बनर्जी जिनकी कथित अनुशासनहीनता को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तकरार छिड़ी है, वे कम बोलने और अधिक काम करने वाले नौकरशाह के तौर पर जाने जाते हैं। विधानसभा चुनाव से लेकर उसके पहले हर मुश्किल घड़ी में वह ममता बनर्जी के लिए संकटमोचक रहे हैं। 
इस बार विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को करारी शिकस्त देने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी के भी करीबी रहे हैं। इसकी वजह यह है कि ममता कैबिनेट में शुभेंदु परिवहन मंत्री थे और अलापन बनर्जी परिवहन सचिव के तौर पर तैनात थे। पश्चिम बंगाल में गत 26 मई को यास चक्रवात के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की समीक्षा बैठक में शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी की वजह से ममता बनर्जी नहीं पहुंची और आधे घंटे बाद अलापन बनर्जी को अपने साथ लेकर केवल एक रिपोर्ट सौंपने के लिए केवल एक मिनट के लिए पहुंची थीं। नियमानुसार प्रधानमंत्री के आगमन पर मुख्य सचिव द्वारा स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन अलापन बनर्जी ममता बनर्जी के साथ थे, जिसकी वजह से केंद्र ने उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला लिया है। राज्य सरकार उन्हें रिलीव नहीं कर रही थी और केंद्र उन्हें दोबारा नोटिस भेजकर ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश दे चुका था।
 तकरार पर विराम लगाने के लिए अलापन बनर्जी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है और अब उन्हें ममता बनर्जी का विशेष सलाहकार नियुक्त कर दिया गया है। उनकी पत्नी सोनाली बनर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति हैं और अलापन को भी साहित्य से काफी लगाव है। केंद्र और ममता सरकार में जारी टकराव के बीच नाटकीय घटनाक्रम में बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय ने सोमवार को रिटायरमेंट ले लिया। 31 मई को ही उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर कुछ दिन पहले ही केंद्र ने बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया था। अब ममता ने उन्हें मुख्य सलाहकार बनाया है।  
पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अफसर अलापन रूलबुक के हिसाब से चलने के लिए जाने जाते हैं। 1961 में जन्मे अलापन ने नरेंद्रपुर रामकृष्ण मिशन से स्कूलिंग की। वे मेधावी छात्र थे और दसवीं की परीक्षा में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया था। इसके बाद उन्होंने प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया और तत्पश्चात कलकत्ता विश्वविद्यालय से मास्टर्स की पढ़ाई की।
 पत्रकारिता कर चुके हैं अलापनआईएएस के तौर पर नौकरी शुरू करने से पहले अलापन ने 1983 में पत्रकारिता से शुरुआत की। वे कोलकाता के एक मशहूर बांग्ला अखबार से जुड़ गए, हालांकि किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। 1987 में उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की और उसके बाद प्रशासनिक सेवा की तरफ बढ़ गए और एक के बाद एक मुकाम हासिल करते चले गए।
ममता को कहते हैं मैडम सीएम
अलापन के करीबियों ने बताया कि वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘मैडम सीएम’ कहकर बुलाते हैं। मुख्यमंत्री जब भी उनके चेंबर में आती थीं तो वे उठकर खड़े हो जाते थे। ममता उन्हें बैठने का इशारा करते हुए कहती थीं कि वे उस तरह की मुख्यमंत्री नहीं हैं। उनके आने पर खड़े होने की जरूरत नहीं है।
सीयू की कुलपति हैं पत्नी, साहित्य से है लगाव
अलापन ने बंगाल के विख्यात कवि नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की पुत्री सोनाली चक्रवर्ती से विवाह किया है। वह वर्तमान में कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति हैं। अलापन को भारतीय दर्शन से संबंधित पुस्तकें पढ़ने का शौक है। वे महात्मा गांधी व गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की राजनीतिक विचारधारा से भी बेहद प्रभावित रहे हैं।
विरोधी भी करते हैं सराहना
अलापन बनर्जी की काबिलियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विरोधी भी उनकी तारीफ करते हैं। शुभेंदु अधिकारी ने दो दिन पहले ही कहा है कि वह परिवहन विभाग में मंत्री रहने के दौरान से ही अलापन बनर्जी को भली भांति जानते हैं। वह मृदुभाषी व्यक्ति हैं और कानून का अनुपालन करने वाले शख्स हैं। वह अनुशासन को मानते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए उनके नहीं पहुंचने को लेकर मचे विवाद पर शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी ने जबरदस्ती उनसे ऐसा करवाया है ताकि प्रधानमंत्री को अपमानित किया जा सके। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *