नई दिल्ली, 28 मई (हि.स.)। जीएसटी काउंसिल की आज होने वाली 43वीं बैठक हंगामेदार हो सकती है। माना जा रहा है कि इस बैठक में गैर भाजपा शासित राज्यों के वित्तमंत्री सरकार पर टैक्स कलेक्शन में हुए नुकसान की भरपाई के मसले पर घेरने की कोशिश कर सकते हैं। इसके साथ ही मेडिकल उपकरणों और कोरोना की वैक्सीन पर लगने वाली जीएसटी के मुद्दे को लेकर भी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो सकती है।
करीब आठ महीने बाद होने जा रही जीएसटी काउंसिल की बैठक में मेडिकल उपकरणों पर जीएसटी दरों को घटाकर न्यूनतम स्तर पर लाने का फैसला किया जा सकता है। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। इस बैठक में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर भी शामिल होंगे। इसके अलावा तमाम राज्यों के वित्तमंत्री और अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में भाग लेंगे।
बताया जा रहा है कि इस बैठक में सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना की रोकथाम के लिए इस्तेमाल की जा रही वैक्सीन को कर मुक्त करने या उसपर लगाए जाने वाले जीएसटी को न्यूनतम करने का ही रहने वाला है। अभी वैक्सीन पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी वसूला जाता है। कई राज्यों ने इसे जीएसटी से मुक्त करने की मांग की है।
केंद्र सरकार पहले ही राज्यों की इस मांग को साफ लहजे में नकार चुकी है। केंद्र का तर्क है कि वैक्सीन को जीएसटी से मुक्त करने पर वैक्सिंग निर्माताओं को इनपुट क्रेडिट का फायदा नहीं मिल सकेगा। जिसकी वजह से वैक्सीन अभी की तुलना में और ज्यादा महंगी हो जाएगी। माना जा रहा है कि इनपुट क्रेडिट की बात को ध्यान में रखते हुए कोरोना की वैक्सीन पर 0.1 फीसदी की दर जैसा मामूली जीएसटी लगाने पर विचार किया जा सकता है। ताकि निर्माताओं को इनपुट क्रेडिट का फायदा भी मिल सके और वैक्सीन की कीमतों में भी कमी लाई जा सके।
जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर भी चर्चा होने की संभावना है। अलग-अलग मंचों पर केंद्र और राज्यों की सरकारें पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात कहती रही हैं। लेकिन अभीतक इस पर एकराय नहीं बनी है। माना जा रहा है कि कल केंद्रीय वित्तमंत्री तमाम राज्यों के वित्त मंत्रियों का विचार जानने के बाद इस दिशा में पहल कर सकती हैं।
काउंसिल की आज होने वाली बैठक में जीएसटी के नुकसान की भरपाई का मुद्दा भी उठ सकता है। कोरोना संक्रमण के कारण राजस्व संग्रह पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। इसकी वजह से केंद्र सरकार को लगातार दूसरे साल जीएसटी के नुकसान की राज्यों को भरपाई करनी पड़ सकती है। माना जा रहा है कि केंद्र को इस मद में राज्यों को 2.7 लाख करोड़ रुपए का मुआवजा देना पड़ सकता है।
जीएसटी में 12 फीसदी और 18 फीसदी के स्लैब को आपस में मर्ज करके एक स्लैब बनाने का फैसला लंबे समय से टलता रहा है। माना जा रहा है कि आज होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन दो स्लैब को मर्ज करने के मसले पर भी चर्चा की जा सकती है।
2021-05-28