लखनऊ, 15 मई (हि.स.)। कोविड-19 के बाद जानलेवा बीमारी काली फंगस या म्यूकर माइकोसिस खतरनाक साबित हो रही है। यह शरीर के संवेदनशील अंगों को अपना शिकार बना रही है। ऐसे में डाक्टरों की टीम से सलाह लेने के बाद शनिवार को योगी सरकार ने इसके लक्षण, उपचार, कारणों आदि को लेकर एडवाजरी जारी की है। सर्जन डॉ सुबोध कुमार सिंह की सलाहों के आधार पर अपना ख्याल रखने की अपील की गई है।
हो जाएगा चेहरे का भाग नष्ट
योगी सरकार द्वारा जारी एडवाजरी में डॉ सिंह ने कहा है कि कोविड के म्यूकर माइकोसिस से बचना होगा। यह एक काली फंगस है। चेहरे, नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है। आंख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है।
इन्हें हो सकता है
उन्होंने बताया कि जिन्हें कोविड के दौरान स्टेरॉयड दवा दी गयी हो – डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेड्निसोलोन इत्यादि। कोविड मरीज को ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो। डायबिटीज पर अच्छा नियंत्रण ना हो। कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो।
ये हैं लक्षण
डॉ सुबोध ने बताया कि काली फंगस में बुखार, सर दर्द, खांसी, सांस फूलना, नाक बंद होना, नाक में म्यूकस के साथ खून आना, आंख में दर्द, आंख फूलना, दूर दिखना या दिखना बंद होना, चेहरे में एक तरफ दर्द, सूजन हो या सुन्न होना (छूने पर छूने का अहसास ना हो), दांत में दर्द, दांत हिलना, चबाने में दर्द, उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आना लक्षण हैं।
डॉक्टर से लें सलाह
उन्होंने बताया कि कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाए। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से तुरंत दिखाएं।
ये बरतें सावधानी
उन्होंने बताया कि स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर या किसी रिश्तेदार आदि के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें। लक्षण के पहले पांच से सात दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें। इससे बीमारी बढ़ जाती है। विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल पांच से दस दिनों के लिए स्टेरॉयड देते हैं। इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है। अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं। स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें। घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नार्मल सलाइन डालें। बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।