नई दिल्ली, 13 मई (हि.स.)। कोरोना संक्रमण के अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव की वजह से भारत के इन्वेस्टमेंट ग्रेड स्टेटस में भी गिरावट आने की आशंका बन गई है। साल 2020 में कोरोना की शुरुआत के बाद से ही देश की अर्थव्यवस्था लगातार दबाव का सामना कर रही है। ऐसे समय में इन्वेस्टमेंट ग्रेड स्टेटस में गिरावट होने से भारतीय अर्थव्यवस्था का संकट और भी गहरा हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण 2020 में बुरी तरह से प्रभावित हुई भारतीय अर्थव्यवस्था की वजह से पिछले साल ही कई क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने भारत के स्टेटस को डाउनग्रेड कर दिया था। लेकिन अब इस साल शुरू हुई कोरोना के संक्रमण की दूसरी लहर ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। एस एंड पी, मूडीज और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों ने भारत के इन्वेस्टमेंट ग्रेड स्टेटस को डाउनग्रेड करने के संकेत दिए हैं। इन तीनों एजेंसियों ने देश के ग्रोथ एसेसमेंट में कटौती करने के भी संकेत दिए हैं।
आशंका जताई जा रही है कि इस साल जीडीपी की तुलना में सरकारी कर्ज का स्तर रिकॉर्ड 90 फीसदी के लेवल को भी पार कर सकता है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से लगभग हर स्तर पर करने की आशंका जताई जा रही है। ऐसी स्थिति में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि इन्वेस्टमेंट ग्रेड स्टेटस को लेकर कोई भी आखिरी फैसला लेने के पहले कोरोना की ताजा लहर के शांत होने का इंतजार करना ज्यादा बेहतर होगा।
ऐसे में अगर आने वाले एक दो महीने के अंदर कोरोना संक्रमण पर प्रभावी तरीके से काबू पा लिया गया, तो भारत का इन्वेस्टमेंट ग्रेड स्टेटस डाउनग्रेड होने की जगह अपग्रेड भी हो सकता है। वहीं अगर कोरोना पर काबू नहीं पाया गया तो देश के इन्वेस्टमेंट ग्रेड स्टेटस को डाउनग्रेड होने से बचा पाना मुश्किल है। जानकारों का कहना है कि अब सबकुछ इस बात पर ही निर्भर करता है कि आने वाले समय में भारत कोरोना संक्रमण को कितनी समझदारी के साथ हैंडल कर पाता है।
2021-05-13