गाजीपुर, 12 मई (हि.स.)। वैश्विक महामारी कोविड-19 से जहां बड़ी आबादी इस विभीषिका से जूझती नजर आ रही है। वहीं कोरोना योद्धा स्वयं कोरोना पर विजय प्राप्त कर अब दूसरों को प्रेरणा देते नजर आ रहे हैं। ऐसे ही एक युवा रचनाकार व गीतकार कवि पंकज “प्रखर” जो स्वयं कोरोना से संक्रमित हुए थे। इस दौरान उन्होंने घर बैठकर इस आपदा से लड़ने हेतु एक प्रेरणा गीत लिख डाली। जो लोगों को काफी संबल प्रदान करती नजर आत रही है।
‘जीत लेंगे हम समर को मन में यह विश्वास रखना, एक दीपक आस का अपने सदा तुम पास रखना।। आंधिया हैं तेज फिर भी देख लो हम चल रहें हैं। सूर्य के सन्मुख भी देखो लौ सरीखे जल रहे हैं।। दूर तक फैला तिमिर है कुछ उजाला पास रखना। जीत लेंगे हम समर को……….. लहर के विपरीत देखो एक तन्हा नाव है। इस शहर के भीड़ में भी एक अपना गांव है।। मुस्करायेगा कुंवा अपनी अधूरी प्यास रखना।। जीत लेंगे हम समर को…………. हम खुशी को खींच लाएंगे ग़मो के द्वार से। फिर से ये मधुबन हंसेगा भ्रमर के गुंजार से।। तितलियां फिर उड़ सकेगी तुम खुला आकाश रखना।। जीत लेंगे हम समर को……….. हम लड़े है दुश्मनों से जितना भी जानते हैं। शून्य के भीतर भी देखो शून्य को पहचानते हैं।। मुश्किलों में है धरा पर जीत का आभास रखना।। जीत लेंगे हम समर को मन में यह विश्वास रखना मन में यह विश्वास रखना…।
पूर्वांचल के उभरते वीर रस के युवा रचनाकार कवि पंकज “प्रखर” किसी परिचय के मोहताज नहीं रह गए हैं। उनकी कविताओं को काफी पसंद किया जाता है। ऐसे में जब स्वयं पंकज “प्रखर” कोरोना संक्रमण के शिकार हुए तो उन्होंने साहस नहीं खोया बल्कि इस दौरान प्रेरणादायक गीत की रचना कर डाली।
इस संबंध में उन्होंने बताया कि हमें कोरोना से डरना नहीं बल्कि बचना है। भयभीत नहीं होना है बल्कि चिकित्सकों द्वारा बताए गए प्रोटोकाल का पालन करते हुए समुचित इलाज का पालन करते हुए लोगों को संबल प्रदान करना है। लोगों को साहस देना है।
पंकज “प्रखर” ने बताया कि होम कोरोनटाइन के दौरान उन्होंने अपने साहित्य प्रेम का खूब लाभ उठाया। इसके साथ ही व्यस्तता के दौरान वर्षों से भूले बिसरे लोगों से बातचीत करने के साथ ही सकारात्मक बातों का प्रचार प्रसार करते हुए लोगों को इस महामारी के दौरान जीवन का ढंग आदान प्रदान किया गया।