– वरिष्ठ चिकित्सकों ने 15 मांगों के साथ सरकार को आवेदन पत्र सौंपा
अहमदाबाद,06 मई (हिं.स.) | कोरोना अवधि में सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपनी मांगे पूरी करने के लिए सरकार के खिलाफ धरना शुरू किया है। वरिष्ठ चिकित्सकों की मांग है कि सरकार 2008 से लंबित पदोन्नति पर तत्काल निर्णय ले। सरकारी डॉक्टर सातवें वेतन आयोग के लाभ देने की मांग कर रहे हैं।
धरना दे रहे चिकित्सकों ने 15 विभिन्न मांगों पर सरकार को एक आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन उस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। अब जब इन डॉक्टरों ने संकेत दिए हैं कि वे हड़ताल पर जाएंगे, तो जूनियर डॉक्टर भी उनके साथ जुड़ेंगे।
गुजरात मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन से जुड़े 1 हजार,700 वरिष्ठ डॉक्टर फिलहाल धरने पर हैं। वरिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि सातवें वेतन आयोग के लाभ से ये 1 हजार,700 डॉक्टर भी वंचित हैं। यह भी मांग की गई है कि 10 साल की सेवा के बाद निजी प्रैक्टिस की अनुमति दी जाए।
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी कहा कि राज्य सरकार के डॉक्टर और शिक्षक कोरोना की मदद के लिए पिछले एक साल से सरकार के साथ कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वे किसी भी तरह की स्थिति देखे बिना रात – दिन काम कर रहे थे। लेकिन ये कोरोना योद्धा अपनी मांगों को पूरा नहीं करने के कारण व्यथित हैं। हालांकि कोरोना रोगियों में तेज वृद्धि के बाद इन डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल शुरू नहीं की। फिर भी उनके सवालों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई है और उनके साथ गलत व्यवहार किया गया है। इस कारण जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी हड़ताल के पूर्ण समर्थन की घोषणा की है।
फिलहाल राज्य में कोरोना की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान, अस्पताल के बेड और वेंटिलेटर सहित ऑक्सीजन तक मरीजों की पहुंच नहीं है। मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर दिन-रात काम कर रहे हैं क्योंकि मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में इस हड़ताल से मरीजों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। अन्य जूनियर डॉक्टरों के भी आने वाले दिनों में हड़ताल में शामिल होने की संभावना है। इससे पहले, जूनियर डॉक्टरों ने धनवंतरी अस्पताल में नौकरी की शिकायत की थी, लेकिन उन्हें ऐसा करने के लिए मना लिया गया।अतिरिक्त अधीक्षक स्तर, विभागीय प्रमुख और कई वरिष्ठ डॉक्टरों की गुजरात मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले बैठक हुई। इस बीच डॉ रजनीश पटेल ने कहा, आप समझ सकते हैं कि आज की बैठक में हम क्या करेंगे। हमें उम्मीद है कि हमारे मुद्दे हल हो जाएंगे। अगर गुजरात मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की गुजरात के 1700 डॉक्टरों की बैठक की मांग सरकार द्वारा स्वीकार नहीं की गई तो स्थिति बिगड़ सकती है।
बैठक में सरकारी नियम के अनुसार हर तीन साल में 40 फीसदी की वजीफा वृद्धि की मांग की गयी। यह तय किया गया कि 60 हजार के बजाय 84 हजार मिलने के बाद ही काम पर जाएंगे। महामारी में रोगियों के डायपर बदलने, खाना खिलाने, स्ट्रेचर खींचने के बावजूद रोगियों के रिश्तेदारों के हाथों पिटाई होने पर भी हम चिंतित नहीं हैं। हम रोगियों की चिंता के साथ काम कर रहे हैं लेकिन सरकार को हमारी परवाह नहीं है। इसलिए अब अपने वेतन आदि के लिए हड़ताल ही विकल्प बन गया है।
2021-05-06