कोलकाता/नई दिल्ली, 03 मई (हि.स.)। वोटों की गिनती के बावजूद नंदीग्राम विधानसभा सीट पर रविवार को देर रात असमंजस की स्थिति बनी रही। हालांकि, चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के जीत की घोषणा कर दी। लेकिन, तृणमूल कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन कार्यालय से संपर्क कर दोबारा गिनती की मांग की।
बात यहीं नहीं ठहरी। तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल कोलकाता में मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिला और नंदीग्राम में वोटों की फिर से गिनती कराने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के नेता इस बात को हजम नहीं कर पा रहे थे कि स्वयं ममता बनर्जी चुनाव हार गई हैं। एक तरफ पार्टी पश्चिम बंगाल में भारी जीत दर्ज कर रही है। दूसरी तरफ पार्टी अध्यक्ष व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट हार गई हैं।
इस तथ्य को बदलने की भरपूर कोशिश हुई। यहां तक कि तृणमूल वोटों की गिनती की प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया। लेकिन चुनाव आयोग के सामने तृणमूल का धौंस नहीं चल पाया। आयोग ने नंदीग्राम सीट से शुभेंदु अधिकारी को 1,956 मतों से विजयी घोषित किया। आयोग ने इस बात की पुष्टि की कि शुभेंदु अधिकारी को कुल 1 लाख 10 हजार 764 वोट मिल हैं, जबकि प्रतिद्वंद्वी ममता बनर्जी को 1 लाख 08 हजार 808 वोट प्राप्त हुए।
नंदीग्राम का मुकाबला उस वक्त दिलचस्प हो गया था, जब शुभेंदु अधिकारी ने यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। एक समय वे ममता बनर्जी के निकटतम सहयोगी थे। अब उनका ममता से दो-दो हाथ होने वाला था। नंदीग्राम का मुकाबला मीडिया की सुर्खियों में बना रहा।
इस सीट को लेकर मीडिया की उत्सुक्ता इतनी अधिक थी कि आधिकारिक परिणाम घोषित होने से पहले मीडिया में ममता बनर्जी की जीत की खबर चलने लगी थी। कुछ ही घंटे में भ्रम दूर हुआ और भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी विजयी घोषित हुए। नंदीग्राम से कमल खिला। माकपा की मीनाक्षी मुखर्जी 6,227 मतों को प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहीं।
उल्लेखनीय है कि नंदीग्राम पश्चिम बंगाल की प्रतिकात्मक सीट है। यहां 2007 में भूमि अधिग्रहण को लेकर हुए हिंसक संघर्ष का ताजा इतिहास है। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नंदीग्राम की घटना को ‘दुखद’ बताया था। यह संघर्ष तब शुरू हुआ था जब मिदनापुर जिले में विशेष आर्थिक क्षेत्र योजना के दायरे वाले नंदीग्राम में पुलिस फायरिंग हुई और 14 लोगों की मौत हो गई।
तब स्थानीय लोगों के हक में ममता बनर्जी ने जमकर संघर्ष किया था। शुभेंदु अधिकारी कदम-कदम पर उनके साथ रहे। जब ममता उसी पथ पर चलने लगीं, जिसके खिलाफ उन्होंने नंदीग्राम में संघर्ष किया था तो स्थानीय लोग उनसे दूर हो गए। उन्होंने अपना नया नेतृत्व चुन लिया है।