अगरतला, 4 दिसंबर: नए लेबर कोड को एक भयानक लेबर कोड बताते हुए CITU सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहा है। आज मज़दूर और समर्थक सड़कों पर विरोध मार्च में शामिल हुए। आज का मार्च शहर की अलग-अलग सड़कों से होकर गुजरा।
मार्च से केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना करने वाले स्टेट कमेटी प्रेसिडेंट माणिक डे ने कहा कि नया लेबर कानून पूरी तरह से मज़दूरों के हितों के खिलाफ है और केंद्र ने मेहनतकश लोगों के अधिकारों को कम करने के मकसद से यह कानून बनाया है। आज उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने 21 नवंबर को नया लेबर कोड लागू किया था। सरकार ने यह फैसला पूरी तरह से कॉर्पोरेट्स के हितों में लागू किया है। देश के 90 परसेंट लोग इस कानून के दायरे से बाहर हो जाएंगे। क्योंकि, यह कानून देश के बेरोज़गार बुज़ुर्गों और किसानों के हितों के खिलाफ है।
उनके मुताबिक, देश भर में किसानों के आंदोलन की वजह से केंद्र सरकार ने 29 लेबर कानूनों को रद्द कर दिया है और 4 मज़दूर विरोधी लेबर कोड लागू कर दिए हैं। इस लेबर कोड के लागू होने से 8 घंटे काम को 12 घंटे की जगह ज़रूरी करने का अधिकार कॉर्पोरेट्स को मिल गया है। इसके अलावा, PF ग्रेच्युटी और दूसरी सोशल सिक्योरिटी भी अनिश्चित हो गई है। उन्होंने लेबर कोड को तुरंत वापस लेने की मांग की। नहीं तो, आने वाले दिनों में मज़दूर और समर्थक एक बड़े आंदोलन में शामिल होंगे।
